राजस्थान

वाल्मिकि समाज ने सफाई कर्मचारी भर्ती मे लागू आरक्षण वर्गीकरण के खिलाफ जयपुर मे भरी हुंकार!

संजय कुमार

जयपुर, 12 जुलाई। मेहतर वाल्मीकि समाज राजस्थान के बैनर तले वाल्मीकि समाज का सर्व दलीय प्रतिनिधि अधिवेशन जयपुर के बीडीएस हाउस मे सम्पन्न हुआ जिसमें राजस्थान प्रदेश के प्रत्येक जिले,तहसील से सफाई कर्मचारियों की भर्ती से आरक्षण वर्गीकरण के नियम को हटाकर शत प्रतिशत वाल्मीकि समाज को नियुक्तियां दिलवाने व वर्ष 2012/2018 के कोर्ट केस वालों के लिए  उच्च न्यायालयों जयपुर व जोधपुर के आदेशानुसार नियुक्तियां दिलाने सहित अन्य सभी ज्वलंत मुद्दों पर समाज हित की भावनाएं रखने वाले सभी सामाजिक,राजनैतिक गैर राजनैतिक व ट्रेड यूनियन और धार्मिक संगठनों के पदाधिकारीयों ने पहुंच कर वाल्मीकि समाज के साथ सरकार द्वारा किए जा रहे कुठाराघात व अन्याय के खिलाफ विरोध प्रकट किया और वाल्मीकि समाज को सरकार से मैदान-ए-जंग करने के लिए अपने अपने सुझाव व समर्थन दिए !

इस विशाल प्रतिनिधि अधिवेशन की अध्यक्षता वाल्मीकि समाज के वरिष्ठ नेता कोटा से आएं चंद्रभान अरविंद ने की।
अधिवेशन का संचालन दिनेश सरसिया ने किया।

अध्यक्षीय भाषण मे मेहतर वाल्मीकि समाज के वरिष्ठ नेता चंद्रभान अरविंद ने बताया कि जब-जब भी जिस जिस के साथ अन्याय हुआ तब तब उनको अन्याय को न्याय मे बदलने के लिए संघर्ष करना पड़ा है तो क्यों नहीं हमारा वाल्मीकि समाज भी अपने हक अधिकारों को पाने के लिए संघर्ष करें और इसी उद्देश्य को लेकर हम लगातार संघर्षरत है और आप सभी के सहयोग की अपेक्षा करते हैं ! चंद्रभान अरविन्द ने बताया कि जल्द सर्वदलीय प्रतिनिधि मंडल सरकार से मिल पुरजोर तरीके से अपनी बात रखेगा।
जयपुर पंच कमेटी अध्यक्ष मनोज चावरियां व पूरी टीम द्वारा सभी आगंतुओं पर पुष्प वर्षा कर स्वागत किया गया। अधिवेशन में डॉ. कैलाश किशन लोहरा , पूर्व सफाई कर्मचारी आयोग के सदस्य ओम प्रकाश लोहिया व सुरतगढ़ से आयें किसान नेता अमित कल्याणा , वाल्मीकि महापंचायत प्रदेश अध्यक्ष प्रकाश चंद्र नकवाल , दीनदयाल ढ़ेन्डवाल , द्वारका प्रसाद रेनवाल , रणजीत सारसर , श्याम जी जैपूरी , राजेन्द्र डंगोरिया , जोधपुर से प्रकाश जी विद्रोही , उदयपुर से मदनलाल खोखर , टोंक से राजेश पारोचिया, केकड़ी से जितेंद्र बोयत,सरवाड़ से सुरेश गारु आदि वक्ताओं ने अपने उद्बोधन में बताया कि सरकारों की मंशा वाल्मीकि समाज के प्रति ठीक नहीं है इसलिए समस्त वाल्मीकि समाज को एकजुट होकर विरोध करना चाहिए !

सभी प्रतिनिधियों के सुझावों के आधार पर मुख्यमंत्री के नाम सात सूत्रीय ज्ञापन देने का फैसला लिया गया और ज्ञापन मे सरकार को चेतावनी देते हुए बताया जायेगा कि वाल्मीकि समाज के हितों की वाजिब मांगों का समाधान नही किया गया तो सात दिन बाद राजस्थान के अंदर उग्र आंदोलन किया जाएगा जिसके समस्त नफे नुकसान की जिम्मेदारी राज्य सरकार की होगी !

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