प्रमुख संवाद
कोटा, 25 अगस्त। राजस्थान अपनी कला-संस्कृति के लिए पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। वहीं बेंगलुरु के आर्ट ऑफ लिविंग आश्रम में तीन दिन के राजस्थान महोत्सव का आयोजन कोटा आर्ट आॅफ लिविंग द्वारा किया गया था। प्रो. कॉडिनेटर एवं राजस्थान अपेक्स मेंम्बर कोटा निवासी सुनील बाफना ने बताया कि इस महोत्सव में राजस्थान के विभिन्न जिलों से आए कलाकारों ने अपने-अपने क्षेत्र में अपनी प्रतिभा दिखाई। कार्यक्रम में पूरा आश्रम परिसर राजस्थानी संस्कृति में सजा हुआ था। सभी आयोजक टीम राजस्थान गणवेश पहनी हुई थी। बंगलोर में शेखावटी के रंग,हाडौती,मेवाड सहित रंगीलों राजस्थान की सुंदर छवि प्रस्तुति की। सुनिल बाफना ने सभी अपेक्स मेम्बर,एसटीसी व वॉलिंटर सदस्यों का सहयोग हेतु आभार प्रकट किया।
भक्तों ने किया कला-संस्कृति का प्रदर्शन
महोत्सव में राजस्थानी लोक नृत्य, लोक संगीत, कठपुतली, और विभिन्न तीज त्यौहार पर किए जाने वाले नृत्य की प्रस्तुति दी गई जिसने हजारों लोगों को आकर्षित कर दिया. वहीं राजस्थानी हस्तशिल्प का बाजार लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बना रहा। इस अवसर पर प्रसिद्ध कालबेलिया नृत्य, चरी नृत्य और कई तरह के नृत्य किए गए। कालयो कूद पड्यो मेले में….मीरा बाई के भजनों डोल—मंझिरों के संग बजे तो पुरा परिसर राजस्थानी हो गया। राजस्थान के विभिन्न जिलों से एक हजार से अधिक गुरु भक्तों ने राजस्थान की कला और संस्कृति का प्रदर्शन किया। महोत्सव में राजस्थानी व्यंजनों का मेला भी लगाया गया, जिसमें दाल बाटी चूरमा, गट्टे की सब्जी आदि व्यंजन शामिल थे।
राजस्थानी सांस्कृतिक को बढ़ावा देना
आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर ने बताया कि इस महोत्सव का मुख्य उद्देश्य राजस्थानी संस्कृति का प्रचार-प्रसार करना है। साथ ही विभिन्न राज्यों के लोगों के बीच राजस्थानी सांस्कृतिक को पहुंचना और बढ़ावा देना है.आध्यात्मिक गुरु ने बताया कि यह महोत्सव राजस्थानी लोगों को एक मंच प्रदान करता है, जहां वे अपनी संस्कृति और परंपराओं को प्रदर्शित कर सकते हैं।