धर्म

गुरु पूर्णिमा :- बिना गुरू के जीवन की कल्पना नामुमकिन

Sanjay kumar, 21 July

Guru Purnima: गुरु अपने आप में बहुत ही खूबसूरत शब्द है। गुरु शब्द गु और रू से मिलकर बना है। गु का अर्थ होता है अंधेरा जबकि रू का अर्थ प्रकाश होता है। लिहाजा जो हमें अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाए उसे गुरु कहते हैं।

आध्यात्मिक परिपेक्ष्य में बात करें तो आपके भीतर हर विषय की जानकारी पहले से मौजूद है। लिहाजा गुरु उस की बाधा को हटाने का काम करता है जो आपके और ज्ञान के बीच होती है। किसी भी ज्ञान की अनुभूति तबतक नहीं होती है जबतक कि गुरु उससे आपको अवगत नहीं कराता है। यही वजह है कि गुरु की महिमा काफी अधिक होती है।

बिना गुरू के जीवन की कल्पना नामुमकिन

बिना गुरु के जीवन की कल्पना भी नामुमकिन है। जीवन के हर पड़ाव में हमें एक गुरु की आवश्यकता होती है जो हमें अगले पड़ाव की ओर बढ़ने में मदद करता है। गुरु की इस महिमा को भारत में गुरु पूर्णिमा के तौर पर मनाया जाता है।

गुरू-शिष्य का संबंध

गुरू कौन होता है, गुरु वो होता है जो निस्वार्थ आपको ज्ञान दे और शिष्य वह होता है जो गुरु द्वारा दिए गए ज्ञान को कृतज्ञता से ग्रहण करता है। गुरु वो होता है जो हमेशा अपने शिष्य को ऊपर जाते देखना चाहता है, वह चाहता है कि उसका शिष्य उससे भी बेहतर व्यक्ति बने।

 

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