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जवाहर नगर थाना पुलिस की त्वरित कार्यवाही से बची 16 वर्षीय कोचिंग छात्राओ की जिन्दगी

संजय कुमार

कोटा, 14 फरवरी। जवाहरनगर थाना पुलिस को 16 वर्षीय दो कोचिंग छात्राओ द्वारा सुसाईड का प्रयास करने की खबर मिलते ही तुरन्त मौके पर पहुंचकर कोचिंग छात्राओ को आत्महत्या करने से रोककर छात्राओ की जिन्दगी बचाई है।

पुलिस अधीक्षक शहर शरद चौधरी ने बताया कि कोटा शहर में प्रसिद्ध शिक्षण एंव कोचिंग संस्थान स्थित है जो विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करवाते है। इंजीनियरिंग और विशेषतः आईआईटी और मेडिकल प्रवेश परीक्षाओं की तैयारी के लिए भारत वर्ष के छात्र पढने के लिये कोटा आते है जिस कारण कोटा शहर एक प्रमुख शिक्षा हब होने के नाते छात्र सुरक्षा बहुत महत्वपूर्ण अंश है। कोटा शहर पुलिस कोचिंग छात्रो की सुरक्षा को लेकर काफी संवेदनशील है इसी क्रम में कोचिंग छात्रो द्वारा सुसाईड की घटनाओ की प्रभावी रोकथाम हेतु अभियान के रूप में लेकर समस्त थानाधिकारीगण को आवश्यक दिशा निर्देश दिये गये थे।

दिनांक 13 फरवरी को थाना जवाहर नगर पर सुचना मिली की बिहार निवासी एक 16 वर्षीय कोचिंग छात्रा जो पिछले 03 माह से राजीव गाँधी नगर कोटा में रहकर कोचिंग कर रही है द्वारा आत्महत्या का प्रयास किया जा रहा है। सुचना पर तुरन्त थानाधिकारी थाना जवाहर नगर वासुदेव सिंह मय टीम द्वारा मौके पर पहुँचकर बालिका को विश्वास में लेकर से समझाईस की गई एंव बालिका की जिन्दगी बचाई। पुलिस द्वारा अगर त्वरित कार्यवाही नही की जाती तो कोचिंग छात्रा अवश्य ही आत्महत्या कर सकती थी।

इसी प्रकार दिनांक 14 फरवरी को थाना जवाहर नगर पर सुचना मिली की दिल्ली निवासी एक 16 वर्षीय कोचिंग छात्रा जो पिछले 03 माह से राजीव गाँधी नगर कोटा में रहकर कोचिंग कर रही है द्वारा आत्महत्या का प्रयास किया जा रहा है। सुचना पर तुरन्त थानाधिकारी थाना जवाहर नगर वासुदेव सिंह मय टीम द्वारा मौके पर पहुँचकर बालिका को विश्वास में लेकर से समझाईस की गई एंव बालिका की जिन्दगी बचाई। पुलिस द्वारा अगर त्वरित कार्यवाही नही की जाती तो कोचिंग छात्रा अवश्य ही आत्महत्या कर सकती थी।

पुलिस अधीक्षक की अपील –

पुलिस अधीक्षक शहर शरद चौधरी ने अपील की कि परिजन अपने बच्चो से निरन्तर सम्पर्क बनाये रखे तथा साथ साथ संबंधित कोचिग संस्थानो व होस्टल संचालक से सम्पर्क मे रहे तथा अपने बच्चे पर पूर्ण विश्वास रखे और अपने बच्चो की किसी दुसरे बच्चो से तुलना न करे। बच्चे के स्वभाव में आये परिवर्तन पर नजर रखे। कोई भी बच्चा अगर पढाई के दबाव मे हो तो अपने माता- पिता से या पुलिस से अपने मन की बात बताये। अगर कोई बच्चा पढाई के दबाव में हो तो ना तो घर छोङकर कही जाये और ना ही कोई गलत कदम उठाये। हर लाडले का जीवन बचाने की जिम्मेदारी अभिभावको की भी है।

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