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भारतीय कागज उद्योग जगत द्वारा प्रायोजित सम्मेलन में विश्व के कागज उद्योग से जुड़ी औद्योगिक इकाईयों व उनके प्रतिनिधियों ने निभाई सहभागिता

Sanjay Chobisa

कोटा, 19 दिसंबर, देश में कागज उद्योग की नई संभावनाओ को तलाशने और इसकी नवीनतम प्रौद्योगिकियों के साथ हुए औधोगिक विकास पर वैश्विक चर्चा करने के उद्देश्य से इंडिया एक्सपो सेंटर, ग्रेटर नोएडा, दिल्ली में पल्प, पेपर और संबद्ध उद्योग पर 4 दिवसीय पेपर उद्योग : हरित प्रौद्योगिकियों के माध्यम से विकास और स्थिरता” विषय पर 16वां अंतर्राष्ट्रीय पेपरेक्स तकनीकी सम्मेलन और व्यापार मेला केंद्रीय विधि एवं न्याय मंत्री अर्जुनराम मेघवाल के मुख्य आथित्य एवं राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर एसके सिंह की अध्यक्षता में संपन्न हुआ।

जनसंपर्क अधिकारी डॉ एस डी पुरोहित ने बताया कि यह देश के लुगदी और कागज उद्योग का सबसे बड़ा आयोजन है, जो भारतीय कागज उद्योग द्वारा प्रायोजित और समर्थित है। इस अवसर पर कुलपति प्रोफेसर ए सिंह ने इस तकनीकी सम्मेलन के वैश्विक मंच पर बतौर तकनीकी विशेषज्ञ के रूप में पेपर उद्योग के हितधारको के साथ वैश्विक संभावनाओ पर विचार विमर्श किया एवं अपने विचार साझा किए। इस अवसर पर कुलपति प्रोफेसर एसके सिंह ने कहा कि विश्व में कागज निर्माण करने वाले देशों में भारत का महत्वपूर्ण स्थान है और ग्लोब पेपर निर्माण में भारत की व्यापक हिस्सेदारी है। भारत में कागज उद्योग को और अधिक आशाजनक बनाना होगा क्योंकि घरेलू मांग बढ़ रही है। बढ़ती जनसंख्या और साक्षरता दर, सकल घरेलू उत्पाद में विकास, विनिर्माण क्षेत्र में विकास और व्यक्तियों की जीवनशैली भारत के कागज उद्योग में विकास के लिए जिम्मेदार हो सकती है। कागज उद्योग का केंद्र अब अधिक पर्यावरण-अनुकूल वस्तुओं और प्रौद्योगिकी की ओर बढ़ रहा है। बढ़ते उपभोक्तावाद, आधुनिक खुदरा बिक्री, बढ़ती साक्षरता और दस्तावेज़ीकरण के बढ़ते उपयोग से लेखन और मुद्रण कागज की मांग में उछाल आया हैं। देश में ई-कॉमर्स के तेजी से विस्तार ने नवीनतम क्षितिज को खोल दिया है और यह उस मांग को काफी हद तक बढ़ा रहा है। साक्षरता पर सरकार का निरंतर ध्यान, उपभोक्तावाद में वृद्धि, संगठित खुदरा बिक्री में वृद्धि से हमारे देश में कागज की खपत और मांग पर सकारात्मक प्रभाव पड़ने से कागज उद्योग की मांग में वृद्धि हुई है। सम्मेलन में कागज उद्योग जगत से जुड़े प्रतिनिधियों और प्रदर्शकों को पुरस्कार और सम्मान से सम्मानित भी किया गया।

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