धर्म

माया संसार को नचाती है और भक्ति भगवान को नचाती है जो रज ब्रज वृन्दावन माहि, वैकुंठादिलोक में नाहीं — संत चिन्मय दास महाराज

संजय कुमार

कोटा, 20 अप्रैल । श्री पिप्पलेश्वर महादेव मंदिर के “षष्ठम प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव (पाटोत्सव) के तहत श्री भक्तमाल कथा में वृंदावन धाम के प्रख्यात संत चिन्मय दास महाराज जी के मुखारविंद से सैकड़ों भक्तों ने श्री भक्तमाल की कथा सुनी और उनकी भक्ति की साधना व तपस्या से श्रद्धा से उनके हाथ जुड़ गए।
प्रवचन का प्रारंभ करते हुए चिन्मय दास जी महाराज ने कहा कि इस संसार को माया नचाती है। भक्ति भगवान को नचाती है। त्रिलोक के स्वामी ठाकुर जी छछिया भर माखन के लिए गोपियों के आगे—पीछे नाचते है यह प्रेम व भक्ति की शक्ति है। उन्होंने कहा कि हमें इस नश्वर शरीर का अभिमान नहीं करना चाहिए एक दिन यह समाप्त हो जाएगा।

जो सुख वृंदावन है वह बैकुंठ में नहीं
चिन्मयदास जी महाराज ने वृंदावन धाम की महिमा बताते हुए कहा कि वृंदावन धाम में प्रवेश करने से ही सच्चिदानंद मिल जाते है।ये भूमि श्रीराधा रानी की भूमि है,नंदलाल की भूमि है। यदि हम वृन्दावन में प्रवेश करते है तो समझ लेना कि ये श्रीराधा रानी की कृपा है। जो हमें वृंदावन आने का न्योता मिला। उन्होने कहा कि कान्हा गाय को गाय पशु नहीं मानते थे,वह माता के समान पूजनीय है। उनकी सेवा में वह जंगल में चराने जाते थे। अगर गाय जूता नहीं पहनती तो मैं क्यों पहनूं। अतः बृज में ठाकुर जी ने 11 वर्ष तक नंगे पैर बृज की गलियों व मैदानों में गाय चराई। जबकि बैकुंठ की भूमि में ठाकुर जी की चरण रज ढूंढने से भी नहीं मिलती। अतः श्री वृंदावन धाम तो बैकुंठ से भी ऊपर है।

विद्या का अर्थ नहीं दूसरों का अपमान
भक्त की रक्षा के लिए भगवान स्वयं तैयार रहते है। भक्त का अपमान भगवान को सहन नहीं होता है। उसकी मदद के लिए वह स्वंय चले आते है जब पंडित बाबा माधव दास को शास्त्रार्थ के बहाने अपमानित करने का मन बनाया और उनका मुंह काला कर गधे पर बिठाकर,जूतों की माला पहनाने का षड्यंत्र रचा तो भक्त की रक्षा के लिए भगवान स्वयं आ गए। पण्डित ने बिना शास्त्रार्थ किए बाबा माधव दास को अपमानित किया तो वह बिना कुछ बोले वहां से आ गए,तब भगवान बटुक वेश में वहां पहुंचे और बोले कि मैं तुमसे शास्त्रार्थ करूंगा। मैं 1008 श्री बाबा माधव दास का शिष्य हूं। अहंकारी पंडित ने तुरंत प्रस्ताव मान लिया और भगवान ने सर्व प्रथम उसकी मति को शून्य कर दिया और सरल से प्रश्न का वह उत्तर भी न दे सका फिर मुंह काला कर गधे पर उस अभिमनी पंडित को घुमाया गया। भगवान ने स्वंय आकर अपने भक्त की रक्षा की।
अंत में समिति अध्यक्ष जागेश्वर सिंह चौहान,बांकेबिहार मंदिर से राजेन्द्र खण्डेलवाल व गिरधरलाल बडेरा,संरक्षक रमेश चंद्र शर्मा,पूजा नागरवाल,अनिता अग्रवाल,मधुबाला शर्मा,संतोषी बाई,निक्की सरदार, आशीष झंवर,महावीर नायक,जीएल वडेरा,निशांत सिक्का, कुलदीप माहेश्वरी,कोषाध्यक्ष गजेंद्र गुप्ता,प्रवक्ता जोगिंद्र पाल,गौरी शंकर,ओम राठौड़ व प्रवक्ता जोगेंद्र पाल ने महाआरती मे भाग लिया।

बहेगी भक्ति रस की सरिता
कोषाध्यक्ष गजेंद्र गुप्ता ने बताया कि दिव्य भक्तिमय वातावरण में 21 अप्रैल को रात्रि 8.00 बजे राधा—रानी को नाम के साथ श्री कृष्ण भक्ति रस की सरिता बहाई जाएगी। भजन गायक “महावीर शर्मा” और ” गोविंद माहेश्वरी” रसमय भजनों की सरिता पिप्पलेश्वर वाटिका में बहायेंगे। मंदिर परिसर में राधा—कृष्ण की सुंदर झांकी सजाई जाएगी और क्षेत्रवासी देर रात तक भजनों का आनंद उठायेंगे। इसी क्रम में 22 अप्रैल को सायं 6 बजे से एक श्याम खाटू के नाम का आयोजन किया जाएगा।
प्रवक्ता जोगिंद्र पाल ने बताया कि श्री पिप्पलेश्वर महादेव मंदिर के “षष्ठम प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव (पाटोत्सव) में आम भण्डारा विशेष होता है। इसमें हजारों की संख्या में लोग प्रसादी प्राप्त करते है। दोपहर से प्रारंभ भण्डारा देर रात तक चलता है।

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