राजस्थान

विभागीय समस्याओं को लेकर मंत्री रावत से मिला राजस्थान कौंसिल ऑफ डिप्लोमा इंजीनियर्स का प्रतिनिधिमंडल

जल संसाधन विभाग में अभियांत्रिकी संवर्ग में उचित प्रबंधन की रखी मांग

संजय कुमार

कोटा, 18 जुलाई।
राजस्थान कौंसिल ऑफ डिप्लोमा इंजीनियर्स का प्रतिनिधिमंडल प्रदेश अध्यक्ष डीपी चौधरी के नेतृत्व में जल संसाधन मंत्री हरीश रावत से मिला। प्रतिनिधिमंडल ने सिंचाई विभाग में अभियंता संवर्ग की समस्याओं के समाधान के लिए विभाग के केबिनेट मंत्री से चर्चा कर समाधान की मांग रखी। इस दौरान प्रदेश अध्यक्ष डीपी चौधरी के साथ महासचिव दिनेश सिंहमार, जोन अध्यक्ष उपदेश अग्रवाल एवं बलराम जाखड़ उपस्थित रहे।

प्रतिनिधिमण्डल ने बताया कि विभागीय पदोन्नति नियमों के अनुसार डिग्रीधारी अभियंताओं की सीधी भर्ती सहायक अभियंता पद पर होती है। कनिष्ठ अभियंता पद पर भी डिग्री अभियंताओं को शामिल कर लेने से विभागीय पदोन्नति में नियमानुसार 3 साल में सहायक अभियंता के पद पर पदोन्नत हो जाते हैं। जिस कारण कनिष्ठ अभियंता के पद खाली रह जाते हैं। जबकि इसी अनुपात में डिप्लोमाधारी अभियंताओं को पदोन्नति के अवसर प्राप्त नहीं हो पाते हैं। डिप्लोमा शिक्षा डिग्री पाठ्यक्रम की श्रेणी में नहीं आती है। अधिकांश प्रतियोगी परीक्षाओं में डिग्री योग्यता ही मान्य होने के कारण डिप्लोमा अभियंताओं को नौकरी तथा रोजगार के अवसर भी कम ही मिल पाते हैं। जबकि सरकार द्वारा डिप्लोमा पाठ्यक्रम प्रतिवर्ष विभिन्न सरकारी व गैर सरकारी महाविद्यालय में करवाए जा रहे हैं। जो कि पूर्ण रूप से 3 वर्षीय अभियांत्रिकी पाठ्यक्रम है। उन्होंने कहा कि अभियंता पद पर केवल डिप्लोमाधारी अभियंताओं को ही नियुक्त किया जाना चाहिए।

प्रतिनिधिमण्डल ने कहा कि जल संसाधन विभाग में कार्यरत सभी डिप्लोमाधारी कनिष्ठ अभियंताओं का विभाग में डिप्लोमा मैकेनिकल कनिष्ठ अभियंता की तरह सहायक अभियंता पद पर पदोन्नति के लिए अनुभव वर्ष 10 के स्थान पर 4 वर्ष कराया जाना चाहिए। वहीं डिप्लोमाधारी सहायक अभियंताओं का अधिशाषी अभियंता के पद पर पदोन्नति के लिए अनुभव 10 वर्ष के स्थान पर 5 वर्ष किया जाना चाहिए।

उन्होंने कहा कि विभाग में केडर रिव्यू कर कनिष्ठ एवं सहायक अभियंताओं के कार्य की अधिकता को देखते हुए नवीन पद सृजित किए जाएं। अभियांत्रिकी कार्य क्षेत्र के अंतर्गत राज्य सरकार की महत्वपूर्ण योजनाओं को जमीनी स्तर पर उतारने के लिए सहायक अभियंता तथा कनिष्ठ अभियंता का पद अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। ऐसे में पूर्व में प्रचलित पदों को समाप्त किया जाना अभियन्ताओं के साथ ही विभाग एवं लोकहित में नहीं है। इन पदों को समाप्त किए जाने से विभाग में बढ़ चुके इन्फ्रास्ट्रक्चर की देखभाल एवं संधारण के लिए जमीनी स्तर के अभियंताओं की कमी हो जाएगी। साथ ही अधिकांश कनिष्ठ व सहायक अभियंताओं को आजीवन नौकरी करने के बाद भी पदोन्नति का कोई अवसर नहीं मिल सकेगा। पदोन्नति के अवसर अत्यंत कम होने से अभियंताओं का मनोबल टूट जाएगा। केडर रिव्यू कर कनिष्ठ अभियंता एवं सहायक अभियंता के अतिरिक्त नवपद सृजित किए जाने चाहिए।

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