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पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय का तृतीय दीक्षांत समारोह कुलपति प्रो. एस के सिंह की अध्यक्षता में संपन्न

संजय कुमार चौबीसा

कोटा, 17 दिसम्बर, पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय का तृतीय दीक्षांत समारोह पटना के राज्यपाल श्री राजेन्द्र विश्वनाथ आर्लेकर के मुख्य आतिथ्य एवं राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय,कोटा के कुलपति प्रो. एसके सिंह की अध्यक्षता में सम्पन्न हुआ। आरटीयू सह जनसंपर्क अधिकारी विक्रम राठौड़ ने बताया कि  राज्यपाल  आर्लेकर ने दीक्षांत समारोह में उपाधि प्राप्त करनेवाले छात्र-छात्राओं को संबोधित करते हुए कहा कि वह भारत को वर्ष 2047 तक विकसित देश बनाने के लक्ष्य को प्राप्त करने में सहभागी बनें। वे सिर्फ अपनी एवं अपने परिवार की सुख-सुविधा हेतु धनार्जन तक ही अपने को सीमित नहीं रखें, बल्कि उनके जीवन का लक्ष्य देश एवं समाज की सेवा करना होना चाहिए। समाज उन्हें आशा भरी निगाह से देख रहा है। उनके व्यक्तित्व, सौम्य व गरिमापूर्ण आचरण एवं उत्तम चरित्र से यह परिलक्षित होना चाहिए कि वे एक प्रतिष्ठित संस्थान से उच्च शिक्षा प्राप्त व्यक्ति हैं।

राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एसके सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय के छात्रों और शिक्षकों की यह महत्तवपूर्ण जिम्मेदारी है कि इस विश्वविद्यालय की परंपरा को बनाए रखते हुए अपने संस्थान के गौरव को समृद्ध करने का प्रयास करे। सभी छात्रों की जिम्मेदारी है कि वे न केवल इस महान उद्देश्य में भागीदार ही न बनें, बल्कि इसे पूरा करने के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ योगदान भी प्रदान करे।विद्यार्थियो के भविष्य निर्माण में शिक्षकों की महत्वपूर्ण भूमिका है। सर्वोत्तम शिक्षा व्यवस्था के लिए सर्वोत्तम शिक्षकों का होना बहुत ही ज़रूरी है। विश्वविद्यालय को स्वयं को आदर्श केंद्र के रूप में विकसित करना होगा क्योंकि यही हमारी उच्च शिक्षा व्यवस्था की आगामी धरोहर है।सभी शिक्षण संस्थानों, विशेष रूप से विश्वविद्यालयों को चाहिए की अपने छात्रों को शोध और नवाचार के लिए निरंतर प्रोत्साहित करे। नवाचार और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारत को सशक्त राष्ट्र बनाने में उनके प्रयासों का महत्वपूर्ण योगदान हैं। उच्च शिक्षा के बेहतरी और सर्वांगीण विकास लिए विश्वविद्यालयों में अनुकूल वातावरण होना आवश्यक हैं। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालयों को स्वयं ऐसे केंद्र के रूप में विकसित करना चाहिए जहां जन-कल्याण के लिए नित नए शोध-अनुसन्धान किए जाए।

 

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