दुनियादेश

दूसरे देश तेजस को क्यों खरीदने में हिचकीचाते हैं ?

Sanjay Chobisa, 26 Nov 2023

लाइट कॉम्बेट एयरक्राफ्ट – तेजस

प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने जब 25 नवंबर को स्वेदेशी फाइटर जेट तेजस में उड़ान भरी, तो वो भारत की औद्योगिक शक्ति में विश्वास का प्रदर्शन था, कि भारत धीरे धीरे आत्मनिर्भर होने की तरफ चल निकला है। हां, हथियार इंडस्ट्री में आत्मनिर्भर बनने में अभी दशकों का वक्त लग सकता है, लेकिन शुरूआत हो चुकी है और ये शुरूआत काफी आक्रामक है। भारतीय वायुसेना ने 700 मिलियन अमेरिकी डॉलर में 97 लाइट कॉम्बेट एयरक्राफ्ट (LCA) तेजस खरीदने का ऑर्डर दे दिया है, जो एक विशालकाय सैन्य सौदा है।

तेजस से उड़ान भरने के बाद भारतीय प्रधानमंत्री ने इसे भारत के लिए गौरव का क्षण कहा और भारत की स्वदेशी क्षमता में विश्वास जताया और इसके साथ ही, उन देशों को भी एक संदेश दिया है, जो तेजस में दिलचस्पी तो दिखा रहे हैं, लेकिन खरीदने से हिचकिचा रहे हैं।

भारतीय वायु सेना (आईएएफ) ने एचएएल से 97 और तेजस एलसीए एमके1ए जेट खरीदने का प्रस्ताव शुरू किया है, जिसकी कीमत कम से कम 700 मिलियन अमेरिकी डॉलर है। IAF ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में रक्षा मंत्रालय की सर्वोच्च निर्णय लेने वाली संस्था, रक्षा अधिग्रहण परिषद (DAC) से मंजूरी मांगी है। डीएसी संभवत: 30 नवंबर को अपनी बैठक में इस प्रस्ताव पर फैसला लेगी।

तेजस खरीदने से क्यों हिचकिचाते देश?
भारतीय वायुसेना में एलसीए के शामिल होने से वैश्विक स्तर पर हथियारों के एक प्रमुख निर्यातक के रूप में उभरने की भारत की कोशिश को बढ़ावा मिलने की संभावना थी। भारत ने हाल ही में मित्र देशों को LCA तेजस बेचने की कोशिश की है और संभावित ग्राहकों को प्रभावित करने के लिए अंतरराष्ट्रीय एयर शो में जेट का प्रदर्शन किया है।
इस महीने की शुरुआत में, तेजस ने दुबई एयर शो में चीनी J-10C और पाकिस्तान के JF-17 थंडर ब्लॉक -3 लड़ाकू विमान के खिलाफ प्रतिस्पर्धा की। पाकिस्तान विमान को भी चीन ने बनाया है, लेकिन उसका निर्माण पाकिस्तान में किया गया है।

तेजस जेट को बेचने का भारत का पहला गंभीर प्रयास तब किया गया था, जब भारत ने 18 हल्के लड़ाकू जेट की आवश्यकता को पूरा करने के लिए मलेशियाई वायु सेना को इसकी पेशकश की थी। हालांकि, अंतिम दावेदार के रूप में चुने जाने के बाद भी तेजस दक्षिण कोरिया के एफए-50 जेट से हार गया था।

भारत ने रखरखाव, मरम्मत और ओवरहाल (एमआरओ) सुविधा सुनिश्चित करके, विमानन प्रबंधन प्रशिक्षण प्रदान करके और मलेशिया में स्थानीय स्तर पर एयरोस्ट्रक्चर का निर्माण करने के लिए मलेशियाई फर्मों के साथ सहयोग करके प्रस्ताव को और लचीला बनाने की कोशिश की थी।
वहीं, अन्य देशों ने भी तेजस जेट में रुचि दिखाई है। लड़ाकू विमान खरीदने की चाहत रखने वाले अर्जेंटीना ने तेजस में रुचि दिखाई है और इसी साल अर्जेंटीना के रक्षा मंत्री जॉर्ज तायाना ने एचएएल सुविधा का दौरा कर भारतीय लड़ाकू जेट को करीब से देखा था। हालांकि, अर्जेंटीना की नवीनतम रिपोर्टों से पता चलता है, कि वो अमेरिका से एफ-16 खरीदने की तरफ ज्यादा रूझान दिखा रहा है।
एचएएल ने हाल ही में मनीला को 12 बहुउद्देश्यीय लड़ाकू जेट तेजस विमान खरीदने के लिए राजी करने के लिए अपने इंजीनियरों को फिलीपींस भेजा था। फिलीपींस में भी, भारत का तेजस दक्षिण कोरियाई एफए-50 के खिलाफ प्रतिस्पर्धा करेगा।

नाइजीरिया ने भी एलसीए तेजस में अपनी दिलचस्पी जताई है, जो कि भारत के साथ एक अरब अमेरिकी डॉलर के समझौते का हिस्सा है, ताकि वह पूर्व के सैन्य-औद्योगिक परिसर के विकास को सक्षम कर सके। लेकिन एलसीए में नाइजीरियाई दिलचस्पी कितनी है, फिलहाल पूरी तरह से इसका पता नहीं चल पाया है।

तेजस के पिछड़ने की सबसे बड़ी वजह है, एचएएल की उत्पादन क्षमता। एचएएल को पहले से ही इंडियन एयरफोर्स से 83 तेजस विमान बनाने का ऑर्डर मिला हुआ है और 97 विमानों का ऑर्डर और मिल सकता है, ऐसे में अगर किसी और देश से ऑर्डर मिलता है, तो फिर एचएएल के लिए विदेशी ऑर्डर को पूरा करना काफी मुश्किल हो जाता है।
फिलहाल, एचएएल अगर पूरी क्षमता के साथ काम करे, तो एक साल में 16 तेजस विमान का निर्माण कर सकता है और उत्पादन क्षमता को 24 तक ले जाने के लिए तीसरे प्रोडक्शन लाइन के निर्माण पर काम चल रहा है और मौजूदा क्षमता के लिहाज से बात करें, तो सिर्फ भारतीय वायुसेना की जरूरतों को पूरा करने में एचएएल को कम से कम 7 से 8 सालों का वक्त लग जाएगा, ऐसे में किसी दूसरे देश का नंबर 7-8 सालों के बाद आएगा, लिहाजा ये देश ऑर्डन देने से पीछे हट जाते हैं।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button