धर्म

आदित्य सागर मुनिराज संघ का चातुमार्स स्थापन समारोह

प्रमुख संवाद

कोटा, 21 जुलाई। आदित्य सागर मुनि महाराज संघ का चातुर्मास कलश स्थापना रविवार को दोपहर 2.30 बजे हरियाली रिसॉर्ट में आयोजित किया गया। श्री 1008 चंद्रप्रभु दि. जैन मंदिर समिति, रिद्धि सिद्धि नगर के अध्यक्ष राजेन्द्र गोधा व सचिव पंकज खटोड़ ने बताया कि हर्षोउल्लास के साथ समस्त समाज मिलकर श्रमण श्रतुसंवेगी श्री 108 आदित्य सागर की कलश स्थापना की। चित्र अनावरण,दीप प्रज्ज्वलन, मंगलाचरण एवं स्वागत गान ,पादप्रक्षालन एवं शास्त्र भेंट,मुनिसंघ द्वारा चातुर्मास स्थापना विधि प्रारंभ, मुनिश्री की मंगल देशना एवं जिनवाणी स्तुति की गई। इस अवसर पर अप्रमित सागर और मुनि सहज सागर महाराज संघ का सानिध्य भी प्राप्त हुआ।

चातुर्मास समिति के अध्यक्ष टीकम चंद पाटनी व मंत्री पारस बज ने बताया कि इससे पूर्व प्रात 8.30 बजे  चंद्रप्रभु दि. जैन मंदिर समिति, रिद्धि सिद्धि नगर में ध्वजा रोहण किया गया। वहां चित्र अनावरण,दीप प्रज्ज्वलन, मंगलाचरण के उपरान्त पादप्रक्षालन भक्तों ने किया और नीति प्रवचनों को ग्रहण किया। इसके उपरान्त गाजे—बाजे और गुरुदेव के जयकारों के साथ कलश स्थापना स्थल पर लाया गया। हजारों की संख्या में गुरुदेव के चरणों की रज को छूते,पाद प्रक्षालन कर जल को सिर पर लगाते लोग मार्ग में नजर आयें।

जब गुरु मिले तभी गुरु पूर्णिमा
गुरूदेव आदित्य सागर ने अपने नीति प्रचवन में कहा कि जब जीवन में गुरु की प्राप्त ही होती है तभी गुरू पूर्णिमा होती है नही तो यह एक पर्व है। उन्होने कहा कि बिना गुरू के जो ज्ञान प्राप्त होता है वह मिथ्या है। गुरु का चयन ज्ञान के आधार पर होता है आयु के आधार से नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि गुरु का आशीर्वाद हमेशा फलता है। उन्होने कहा कि बोरिंग व कुआं जितना गहरा होता है,पानी उतना अधिक होता है उसी प्रकार जितनी अधिक श्रृद्धा होगी उतना ही जीवन सरल व सहज होगा और उतना ही गुरू आशीर्वाद प्राप्त होगा। गुरूदेव ने कहा कि आज गुरु पूर्णिमा हजारों भक्त है जब चातुर्मास समाप्त हो तब भी इतने ही भक्त हो तो यही चातुर्मास की सफलता है।

हर्षोउल्लास से मनी गुरू पूर्णिमा
कार्यक्रम में महिला मण्डल द्वारा गुरू पूजन को उत्सव के रूप में मनाया गया। बालिता महिला मण्डल व रिद्धि—सिद्धि महिला मण्डल ने गुरूदेव के पूजन के अक्षत, फूल, दीप, अघ्र्य समर्पिम करने के लिए विधिवत नृत्य प्रस्तुत कर अपनी भक्तिभाव प्रकट किया। इसमें पुरूषो के गुरूसेवा संघ फल  व नन्हे बालिक—बालिका के जल लेकर गुरू पूजन में शामिल हुए। इस अवसर पर मंगल सर्वार्थ सिद्धि कलश, सम्यदर्शन, सम्य ज्ञान, सम्यक चारित्रिक, सम्यक तप सर्वार्थ सिद्धि कलश,सर्वोदय विराग कलश, सर्वोदय विशुद्ध कलश सहित धर्मोदय,पुण्योदय,रिद्धि—सिद्धि,विशुद्वोदय कलश व आदित्योदय कलश सहित 51 मंगल कलश स्थापना की गई।जिनकी नियमित मंत्रोचारण से चार माह पूजा होगी।

 

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