धर्म

अक्षय तृतीया पर श्रीमथुराधीश मंदिर पर मनेगा चंदन महोत्सव, ग्रीष्म ऋतु के अनुसार बदलेगी राग, भोग, श्रृंगार सामग्री

संजय कुमार

कोटा, 6 मई।
शुद्धाद्वैत प्रथम पीठ श्री बड़े मथुराधीश मंदिर पाटनपोल पर अक्षय तृतीया पर 10 मई से प्रभु सुखार्थ विशेष शीतल सेवा आरम्भ होगी। इस दिन मन्दिर परिसर में चन्दन महोत्सव आयोजित होगा। अक्षय तृतीया से ही ठाकुर जी की भोग और श्रृंगार सामग्री में भी बदलाव हो जाएगा।

प्रथम पीठ युवराज मिलन बावा ने बताया कि अक्षय तृतीया पुष्टिमार्ग की परम्परा के अनुसार हवेली में चंदन उत्सव के रूप में मनाया जाएगा। ग्रीष्म ऋतु के अनुसार प्रभु का राग, भोग और सिंगार भी परिवर्तित हो जाएगा। अक्षय तृतीया से प्रभु का शीत उपचार शुरू होगा। मथुराधीश प्रभु को शीतलता प्रदान करने के लिए चंदन आना शुरू हो जाता है। प्रभु के श्रीअंग पर चंदन और केसर का लेपन किया जाता है। प्रभु के लिए कपड़े के पंखे, मट्टी की कुंजा, दरवाजे पर खस की पट्टी एवं कूलर शुरू हो जाता है। प्रभु के निज मंदिर और आंगन में फव्वारे भी शुरू हो जाते है। प्रभु को पतले सूती के वस्त्र में धोती ऊपरना, पिछोड़ा, आडबंद और सिंगार में मोती एवं सीप से निर्मित श्रृंगार ही पहनाया जाता है। प्रभु के भोग सामग्री में भी परिवर्तन आता है। प्रभु को शीतलता प्रदान करने वाली वस्तुएं सत्तू, लस्सी, छाछ, केरी का पना, आम का रस, खरबूजे का पना, नारियल की बर्फी, चंदन एवं गुलाब का शरबत का भोग लगाया जाएगा। प्रभु के सुख के लिए कीर्तन की राग में परिवर्तन किया जाता है। आशावरी देवगंधार और बिलावल शीत राग में ही कीर्तन गाया जाता है।

मिलन बावा ने बताया कि पुष्टिमार्ग में प्रभु के सुख का विचार इतना किया जाता है कि उन्हें गर्मी का बिल्कुल अनुभव ना हो। इसलिए मध्यान्ह काल और संध्या काल में प्रभु के निज मंदिर में जल से छिड़काव भी किया जाता है। फव्वारे चालू कर दिए जाते हैं। सेवा का यह क्रम रथ यात्रा तक चलेगा। पुष्टिमार्ग में प्रभु का सुख ही मुख्य है।

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