धर्म

नूतन वर्ष के स्वागत में 12 स्थानों से निकली भगवा रैली, सिर पर भगवा पगड़ी और हाथ में केसरिया झंडा लेकर जुटे सनातनी

संजय कुमार

कोटा, 7 अप्रैल। नवसंवत्सर समारोह आयोजन समिति कोटा के तत्वावधान में नवसंवत्सर 2081 और युगाब्द 5126 के स्वागत में तीन दिवसीय कार्यक्रम रविवार से प्रारम्भ हुए। पहले दिन रविवार को विराट भगवा रैली निकाली गई। शहर के 12 स्थानों से रैली प्रारंभ होकर विभिन्न मार्गों से होते हुए टीलेश्वर चौराहा पहुंची। जहां से संयुक्त रुप से बारहदरी पर विराट स्वरुप में रवाना होकर डीपी ज्वेलर्स, फर्नीचर मार्केट, लाला लाजपतराय सर्किल, चौपाटी, गुमानपुरा, गुजराती भवन, मोहन टॉकीज, सब्जीमंडी, चारखम्बा, अग्रसेन सर्किल, रामपुरा, आर्य समाज रोड होते हुए बारहद्वारी पर सम्पन्न हुई। इस दौरान महामंडलेश्वर डॉ. हेमा सरस्वती के द्वारा चम्बल माता की महाआरती की गई। वहीं आतिशबाजी के साथ नवसम्वत्सर 2081 और नव युगाब्द 5126 के आगमन पर स्वागत किया गया। इससे पहले शहर के अनंतपुरा, आरकेपुरम, बोरखेड़ा, कॉमर्स कॉलेज, शिवपुरा, रामचंद्रपुरा, डीसीएम, रंगपुर, सब्जीमंडी, काला तालाब, स्टेशन और कुन्हाड़ी से भगवा रैलियां रवाना होकर टीलेश्वर चौराहा पहुंची।

रैली में कार्यकर्ता एक हाथ में तिरंगा झंडा और दूसरे हाथ में सनातनी भगवा पताका लेकर जुटे थे। सिर पर भगवा पगड़ी और हाथ में केसरिया झंडा लेकर चल रहे थे। इस दौरान ‘भारत माता की जय’ के जोशीले नारे और ‘वंदेमातरम्’ के उदघोष से आसमान गूंज उठा। रैली में भारत माता की झांकी सजाई गई थी। जिसके सामने पुष्प अर्पित करने वालों की होड़ लगी रही। इस दौरान डॉ. हेडगेवार, वीर सावरकर, डॉ. अंबेडकर, भगत सिंह, चंद्र शेखर आजाद, झांसी की रानी, मंगल पांडे, जोरावर सिंह जैसे महापुरुषों के चित्रों से सजे रथ साथ चल रहे थे। वहीं बग्घी में सवार सन्त सवार थे।

वहीं राष्ट्रभक्ति और अध्यात्मिक गीतों की मधुर स्वर लहरियां बिखरते डीजे चल रहे थे। जिन पर “मोहे चढ़ गया भगवा रंग… “, ” ये रामलला का देश है… “, ” मैं हिंदू जगाने आया हूँ…”, “देश का बल, बजरंग दल… ” सरीखे कर्णप्रिय गीतों से माहौल में देशभक्ति रंग घुल रहा था।

रैली मार्ग को 1 हजार तोरण द्वारों, भगवा पताकाओं, झालर और पुष्पों से सजाया गया था। रास्ते में रैली को देखने के लिए बड़ी संख्या में भीड़ जुटी थी। आसमान से पुष्प वर्षा हो रही थी। जिसकी महक चारों ओर बिखर रही थी। मार्ग में विभिन्न समाजों की ओर से तोरण द्वार लगाकर स्वागत किया गया। विभिन्न स्थानों पर पानी, अल्पाहार, छाछ की भी व्यवस्था की गई थीं। वहीं भगवा पगड़ी पहने और अरुण पताकाएं लिए युवक युवतियाँ नारेबाजी करते हुए दो पहिया वाहनों से चल रहे थे।

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