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कोटा विश्वविद्यालय में “ललना – 2024” कार्यक्रम सम्पन्न, ‘महिलाओं का 2047 में भविष्य’ विषय पर हुई परिचर्चा

संजय कुमार

कोटा, 6 मार्च।कोटा विश्वविद्यालय की वुमन सेल की ओर से अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर बुधवार को नागार्जुन भवन के सेमीनार हॉल में “ललना – 2024” कार्यक्रम आयोजित किया गया। जिसमें “2047 में नारी का भविष्य” विषय पर विभिन्न विशेषज्ञों ने परिचर्चा की। कार्यक्रम में हरिदेव जोशी पत्रकारिता विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. सुधि राजीव मुख्य अतिथि थीं। वहीं अध्यक्षता कोटा यूनिवर्सिटी की कुलपति प्रो. नीलिमा सिंह ने की। कार्यक्रम में संभागीय आयुक्त उर्मिला राजोरिया, मेडिकल कॉलेज कोटा की प्रिंसीपल डॉ. संगीता सक्सेना, शहर पुलिस अधीक्षक डॉ. अमृता दुहन तथा कोटा विश्वविद्यालय में डायरेक्टर रिसर्च प्रो. रीना दाधीच विशिष्ट अतिथि के तौर पर मौजूद रहीं।

प्रो. सुधि राजीव ने कहा कि हमारी नारी शक्ति सभी क्षेत्रों में अपनी उपस्थिति दर्ज करा रही है। हम अपनी बेटियों को जितने अधिक अवसर उपलब्ध करवाएंगे, वे हमें उतना ही आगे ले जाएंगी।

कुलपति प्रो. नीलिमा सिंह ने कहा कि स्वस्थ और शिक्षित महिला के बिना 2047 तक विकसित राष्ट्र का सपना साकार होना संभव नहीं है। ये तभी साकार हो पाएगा जब महिलाओं का सर्वांगीण विकास होगा। इसके लिए महिलाओं को तकनीकी शिक्षा से जोड़ना आवश्यक है। तभी एक स्वस्थ और संतुलित समाज बन सकेगा।

उर्मिला राजौरिया ने कहा कि आर्थिक आधार के साथ सामाजिक विकास भी बहुत जरूरी है। समाजिक विकास में महिलाओं का स्वास्थ्य भी एक प्रमुख पैरामीटर है। स्वस्थ महिला के बिना एक स्वस्थ समाज की कल्पना नहीं की जा सकती है।

डॉ. संगीता सक्सेना ने कहा कि महिलाओं के स्वास्थ को लेकर बड़े स्तर पर काम करने की जरूरत है। आज मातृ एवं शिशु मृत्यु दर को काफी हद तक कम किया जा चुका है। लेकिन एनीमिया, कुपोषण और महिलाओं को होने वाले कैंसर के लिए बेहतर काम किया जाना चाहिए।

डॉ. अमृता दुहन ने कहा कि महिलाओं के अधिकारों को लेकर संविधान में बहुत से कानून हैं। इन कानूनों की पालना सुनिश्चित करने के लिए महिलाओं को भी इनकी जानकारी होना चाहिए।

प्रो. रीना दाधीच ने कहा कि समाज के सभी वर्गों को यदि विकास की मुख्य धारा के साथ जोड़ेंगे। इसका सूत्रधार तकनीक पर आधारित होगा तो आर्थिक विकास के साथ समाज का भी विकास होगा। युवा, महिला, किसान समेत हर वर्ग की प्रगति होगी। इसके लिए तकनीकी शिक्षा के लिए महिलाओं को प्रेरित करना आवश्यक है। क्योंकि महिलाओं के तकनीकी ज्ञान के बिना समाज का संपूर्ण विकास संभव नहीं है। रजिस्ट्रार ममता तिवाड़ी ने कहा कि पुरूष प्रधान समाज में महिलाओं को आत्मनिर्भर होना जरुरी है।

वुमन सेल की चेयरमैन तथा प्रोग्राम कन्वीनर डॉ. अनुकृति शर्मा ने स्वागत भाषण में कहा कि स्कूलों और कालेजों में महिलाओं का पंजीकरण बढ़ा है। इससे वे स्कूलों और कालेजों में शिक्षा पाने के मामले में पुरुषों के तकरीबन बराबर सी पहुंच गई हैं। राजनीति के क्षेत्र में महिलाओं की उपलब्धियों ने मील के पत्थर हासिल किए हैं। भारत ने अपनी दूसरी महिला राष्ट्रपति को चुना है।

डॉ. नम्रता सेंगर ने संचालन किया। डॉ. शिखा दाधीच ने आभार जताया। इस अवसर पर डॉ. प्रिया सोढानी, डॉ. श्रुति अरोड़ा, डॉ. केआर चौधरी, डॉ. पल्लवी शर्मा मौजूद रहीं।

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