राजस्थान

बीकानेर तकनीकी विश्वविद्यालय में भारतीय ज्ञान एवं दर्शन पर उच्चस्तरीय दो दिवसीय पाठ्यक्रम संगोष्ठी का आयोजन

संजय कुमार

बीकानेर, 05 मार्च । राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तकनीकी शिक्षा में प्रभावी क्रियान्वयन हेतु भारतीय ज्ञान एवं दर्शन, सांस्कृतिक धरोहर एवं संस्कृति आधारित नवीन पाठ्यक्रम की अभिनव पहल करते हुए बीकानेर तकनीकी विश्वविद्यालय द्वारा दो दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। जनसम्पर्क अधिकारी विक्रम राठौड़ ने बताया कि इस अवसर विश्वविद्यालय की भारतीय ज्ञान एवं दर्शन समिति के विशेषज्ञ सदस्य प्रो. सत्यदेव पोद्दार कुलपति महाराजा महाराजा बीर बिक्रम विश्वविद्यालय अगरतला, प्रो विजय कुमार कर्ण डीन नालंदा विश्वविद्यालय, डॉ. धर्मेन्द्र कुमार खालसा कॉलेज दिल्ली, डॉ. एसके सुमन त्रिपुरा विश्वविद्यालय, डॉ. कमलेश चौकसी गुजरात विश्वविद्यालय, वामसी मोहन अक्षय पात्रा सहित विभिन्न विश्वविद्यालयों, महाविद्यालयों, उच्च शैक्षिक संस्थानों, उच्च एवं तकनीकी शिक्षा से जुड़े हितधारको ने सहभागिता निभाई।

*डीन एकेडमिक्स डॉ. अमित माथुर* ने विश्वविद्यालय के इस कार्ययोजना पर प्रकाश डालते हुए कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुरूप बीकानेर तकनीकी विश्वविद्यालय शीघ्र ही इसे अपने पाठयक्रम में सम्मलित करने जा रहा है। बीकानेर तकनीकी विश्वविद्यालय द्वारा राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 की अपेक्षाओं के अनुरूप अपने विद्यार्थियों को भारतीय ज्ञान दर्शन प्रणाली पर आधारित शिक्षा प्रदान करने के लिए भारतीय ज्ञान दर्शन, सांस्कृतिक धरोहर, संवैधानिक तथा वैश्विक मूल्य आधारित सृजनशीलता पर आधारित पाठ्यक्रम विकसित करने के लिए एक उच्चस्तरीय समिति का गठन किया है। *कुलपति प्रो. अम्बरीष शरण विद्यार्थी* ने अपने सन्देश में कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के मंशानुरूप तकनीकी शिक्षा के विद्यार्थियों को भारतीय ज्ञान एवं दर्शन, सांस्कृतिक धरोहर एवं संस्कृति, प्राचीन भारत के तकनीकी ज्ञान से लाभान्वित और गौरवान्वित करने के लिए नवीन पाठ्यक्रम विकसित किया जा रहा है। हमारे देश के विद्यार्थी शिक्षा की नई व्यवस्था के साथ नवीन आयाम स्थापित करेंगे। *डीन फेकल्टी अफेयर्स डॉ. धर्मेद्र यादव* ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के सन्दर्भ में प्रचलित पाठयक्रम की समीक्षा के साथ हमने यह प्रयास किया है कि हमारे विश्वविद्यालय के विद्यार्थी हमारी सभ्यता और संस्कृति को पुनः पहचानने का प्रयास करेंगे और अपने अनुसंधान के माध्यम से अपने आध्यात्मिक ज्ञान को विकसित करेंगे, निसंदेह इस प्रयास से तकनीकी शिक्षा के विद्यार्थी लाभान्वित होंगे और अपने संस्कारों के संरक्षण के साथ देश में सिरमौर बनेंगे। *प्रो. सत्यदेव पोद्दार, कुलपति, महाराजा महाराजा बीर बिक्रम विश्वविद्यालय* ने कहा कि आज की तकनीकी के जनक भारतीय है इस बात का प्रमाण इस विषय के जरिये छात्रों को बताना है। इस पद्धति में उन बातों का समावेश करना है जिससे छात्र भारतीय प्राचीन को आधुनिक विज्ञान के आधार के रूप में देख पाये।

देशभर से आए प्रबुद्ध प्रोफेसरों ने बीकानेर तकनीकी विश्वविद्यालय कि इस पहल का स्वागत किया। उन्होने कहा कि यह एक सहरणीय कदम है। अगर हम अपनी शिक्षा को फलीभूत करना चाहते है तो हमे प्राचीन शिक्षा प्रणाली का समावेश करना ही होगा। इसके समावेश से दूरगामी परिणाम प्राप्त होंगे। प्रकृतिक संसाधनो का मूल्य भी छात्र समझ पाएंगे और इनका उपयोग तकनीकी प्रसार में कर पाएंगे। संगोष्ठी में कुलपति के विशेषाधिकारी डॉ. धर्मेद्र यादव, डीन एकेडमिक्स डॉ. अमित माथुर, डीन स्टूडेंट वेलफेयर डॉ. अभिषेक पुरोहित, डॉ.अल्का स्वामी, डॉ. गायत्री शर्मा, डॉ. अनु शर्मा डॉ. विकास भल्ला, नवल सिंह, करतार सिंह भी उपस्थित थे।

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