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कोटा पशु प्रेमी के लिए गिर क्रॉस नस्ल की बछिया 131,000 की, लाडो पहुंची कोटा,कौतूहल के साथ किया स्वागत

संजय कुमार

कोटा, 7 फरवरी। अपने समाज-संस्कृति में गायों का खास महत्व है। आयुर्वेद में देसी नस्ल की गायों के दूध में सैकड़ों बीमारियों के इलाज छिपे होने की बात कही गई है। देसी नस्ल की गायों की भी कई प्रजातियां होती हैं। इनमें से कुछ बेहद दुर्लभ होती जा रही हैं। ये गिर नस्ल की गायें कहलाती हैं। इनकी संख्या कम है और ये अपेक्षाकृत दूध भी क्रॉस ब्रीड गायों की तुलना में कम देती हैं। लेकिन, इन गायों के दूध को सेहत का खजाना कहा जाता है। इनका दूध काफी महंगा है। इनकी संख्या कम होने के कारण इन गायों की कीमत काफी अधिक होती है। यह बात कोटा के पशु प्रेमी तनवीर आलम ने बताई।

अनमोल होता है प्रेम
किशोरपुरा निवासी पशु प्रेमी तनवीर ने बताया कि उन्होंने 1,31,000 रूपये की गाय अजमेर से कोटा लेकर आए है। यह उनका पशु प्रेम है और प्रेम अनमोल होता है। गिर क्रॉस गाय, जब भी क्रॉस शब्द का इस्तेमाल किसी नस्ल के साथ होता है, तो उसमें एक ऐसे पशु की बात होती है जो क्रॉस ब्रीडिंग के जरिए पैदा हुआ है। गिर क्रॉस गाय एक दिन में 35 से 40 लीटर तक दूध दे सकती है। गिर के दूध में ए 2 प्रोटीन के गुण अधिक होते हैं। ये नस्ल एक ब्यात में 1700 से लेकर 2100 लीटर तक दूध दे सकती है। गिर क्रॉस गाय के दूध में ऐसे पोषक तत्व पाए जाते हैं जो बहुत से रोगों से न केवल बचाकर रखते हैं,बल्कि रोग के इलाज में भी मदद करते हैं।

ढोल नगाड़े और आतिशबाजी से स्वागत
कोटा के किशोरपुरा पहुंचने पर मोहल्ले वालों में 1 लाख 31 हजार रुपये की गाय को देखने का कौतूहल लग गया। मोहल्ले में आतिशबाजी व ढोल नगाड़ों से बछिया का स्वागत किया। लोग गाय के साथ सेल्फी भी लेते दिखे। पशु पालक तनवीर आलम ने बताया कि 11 माह की बछिया है इसका नाम लाडो रखा है। पुरे राजस्थान में इस नस्ल की यह उत्तम बछिया है इस नस्ल की गाय की कीमत लगभग 5 लाख रुपये है।

तनवीर

गुजरात है उद्गम स्थान
देशी भारतीय गाय की जब-जब बात आती हैं वहां गिर गाय का नाम अवश्य ही आता हैं।गिर गाय (Gir Gay) की उद्गम स्थान भले ही गुजरात हो लेकिन इसे भारत के कई राज्यों में पाई जाता है यह भारतीय गाय की नस्ल काफी प्रचलित एवं लोकप्रिय हैं अच्छी प्रजनन क्षमता वाली नस्ल हैं। इस नस्ल की गाय में काफी अच्छे गुण होते है. इनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता भी काफी बेहतर होती है और यह लंबे समय तक दूध देती हैं। इस नस्ल की गाय की रखरखाव करने के लिए किसी खास तरह की व्यवस्था नहीं करनी पड़ती हैं। इसके गोबर से गोबर की खाद आदि बनायी जाती हैं एवं गोमूत्र से जैविक कीटनाशक आदि बनाया जाता हैं। इन जैविक कीटनाशक का इस्तेमाल फसलों मे लगने वाले कीटों के नियंत्रण के लिए किया जाता हैं।

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