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सावधान ? फसल अवशेष जलाने पर अब लगेगा जुर्माना

संजय कुमार चौबीसा
कोटा 9 नवंबर। खरीफ फसल अतंर्गत किसानों द्वारा फसल अवशेषों में आग लगाने के कारण मृदा में असंख्य जीवाणु, किसान के मित्र केंचुएं, मृदा के कार्बनिक पदार्थ को नुकसान होता है, मृदा बंजर होने लगी है, वनस्पति जलकर राख हो जाती है, जीवों को नुकसान होता है और धुएं से वायु प्रदूषण फैलता है जिससे मानव स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ता है।

संयुक्त निदेशक कृषि विस्तार खेमराज शर्मा ने किसानों को आव्हान किया है कि फसल अवशेषों को जलाने के बजाए इनका उपाय कर सदुपयोग कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि फसल अवशेषों का स्ट्रारीपर के माध्यम से भूसा बनाकर अपने पशुओं के लिए भण्डारण एवं अतिरिक्त भूसे को बेचकर आर्थिक लाभ कमा सकते हैं। फसल अवशेषों को गोबर के साथ मिलाकर केंचुआ खाद तैयार कर सकते हैं एवं फसल अवशेषों का बगीचों एवं सब्जियों में मल्च के रूप में उपयोग करके पानी के वाष्पोत्सर्जन एवं खरपतवार की वृद्धि को रोका जा सकता है। कागज, गत्ते बनाने वाली एवं बायोमास से गैस बनाने वाली फैक्ट्रियों को बेचकर आर्थिक लाभ कमा सकते हैं।
उन्होंने बताया कि इसके लिए कृषि विभाग द्वारा स्ट्रारीपर तथा रोटावेटर पर अनुदान दिया जा रहा है जिससे कृषक स्ट्रारीपर से भूसा बना सकते हैं तथा रोटावेटर से फसल अवशेषों को मिट्टी में मिलाकर मृदा की कार्बनिक क्षमता बढ़ा सकते हैं। उन्होंने बताया कि यदि किसान इसके बावजूद भी फसल अवशेषों में आग लगाते हुए पाए जाते हैं तो 2 एकड़ से कम भूमि वाले कृषकों पर प्रतिघटना 2500 रूपए, 2 से 5 एकड़ भूमि वाले कृषकों पर प्रतिघटना 5000 रूपये तथा 5 एकड़ से अधिक भूमि वाले कृषकों पर प्रतिघटना 15 हजार रूपये जुर्माना लगाया जा सकता है।

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