राजस्थान

अपने ही बने भाजपा – कांग्रेस के लिए चुनौती, राजस्थान की वह सीटें जहां बागी बदल सकते हैं समीकरण,जाने पूरी जानकारी?

Sanjay Chobisa : 07 Nov 2023
राजस्थान विधानसभा चुनाव 2023 स्पेशल:-
25 नवंबर राजस्थान विधानसभा चुनाव की तारीख नजदीक आने के साथ ही चुनावी गणिते बढ़ने लगी है। इस बार राजस्थान विधानसभा चुनाव कई मायनों में दिलचस्प रहने वाला है। प्रदेश की 200 विधानसभा सीटों में से भाजपा ने 200 सीटों पर अपने उम्मीदवार घोषित कर दिए वही कांग्रेस ने 199 सीटों पर उम्मीदवारों को उतारा है, एक भरतपुर विधानसभा सीट राष्ट्रीय लोकदल के लिए छोड़ दी है। नामों के ऐलान के साथ बगावत का दौर भी तेज हो गया है। कांग्रेस और भाजपा ने अपनी रणनीति के तहत उम्मीदवारों के नाम पर मुहर लगाई हो, लेकिन पार्टी के ‘अपने’ ही अब उनको चुनौती देने चुनावी रण में उतर चुके हैं। दरअसल, टिकट न मिलने से खफा दोनों ही पाटियों के कई दिग्गजों ने निर्दलीय उतरने का ऐलान किया है। इनमें मंत्री, विधायक से लेकर कई वरिष्ठ नेता हैं, जो अपने इलाकों में अच्छा खासा रुतबा रखते हैं। नामांकन भरने के साथ ही सभी बागी प्रत्याशी अपनी अपनी जीत का दम भर रहे हैं। लेकिन कई बागी प्रत्याशियों के खड़े होने से और दावेदारी दिखने वाले जिन्हें चुनाव में नहीं उतरा वह इस बार के चुनाव में कई सीटों पर समीकरणों को बदलकर चुनाव को रोचक बनाएंगे। वही दोनों पार्टियों डैमेज कंट्रोल में जुटी हुई है। बागीयों और रूठो को मनाने का प्रयास चल रहा है जिससे चुनाव के परिणाम पर कोई असर नहीं पड़े।

भाजपा – कांग्रेस के लिए चुनौती बनी सीटे

डीडवाना विधानसभा सीट
डीडवाना विधानसभा सीट पर मुकाबला काफी दिलचस्प हो गया है। यहां टिकट नहीं मिलने से खफा भाजपा सरकार में मंत्री रहे यूनुस खान बागी हो गए हैं और निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला किया है। यूनुस खान पूर्व सीएम वसुंधरा राजे के करीबी माने जाते हैं और पिछले 25 सालों से डीडवाना के राजनीति में लगातार सक्रिय हैं। ऐसे में उनका निर्दलीय चुनाव लड़ना भाजपा के लिए चुनौतीपूर्ण रहेगा। भाजपा ने यहां जीतेंद्र सिंह जोधा को मैदान में उतारा है।
शाहपुरा विधानसभा सीट
भाजपा सरकार में केंद्रीय राज्य मंत्री रहे कैलाश मेघवाल ने बागी तेवर दिखाते हुए निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान किया है। कैलाश मेघवाल शाहपुरा से मौजूदा विधायक हैं और इस बार भाजपा से टिकट नहीं मिलने से काफी खफा थे। कैलाश मेघवाल विधानसभा अध्यक्ष के अलावा बीजेपी में राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पद पर व टोंक, सवाईमाधोपुर से सांसद भी रह चुके हैं। भाजपा में कैलाश मेघवाल का ऊंचा रहा हैं। मेघवाल पूर्व सीएम वसुंधरा राजे के करीबी माने जाते हैं। भाजपा ने यहां इस बार लालाराम बैरवा को प्रत्याशी बनाया है।
लाडपुरा विधानसभा सीट
कोटा जिले की लाडपुरा विधानसभा सीट राजस्थान की काफी महत्वपूर्ण सीट मानी जाती है। यहां भाजपा के पूर्व विधायक भवानी सिंह राजावत बगावती तेवर दिखाते हुए निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा कर चुके हैं। इससे भाजपा को कड़ी टक्कर मिल सकती है। 2018 के चुनाव में भाजपा इस सीट पर 19 से अधिक वोटों से जीती थी। भाजपा ने इस बार लाडपुरा सीट से कल्पना देवी को उम्मीदवार बनाया है।
अजमेर दक्षिण
अजमेर दक्षिण की बात करें तो यहां हेमंत भाटी ने निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला किया है। हेमंत भाटी दो बार कांग्रेस के उम्मीदवार रह चुके हैं। इस बार यहां कांग्रेस ने हेमंत भाटी का नाम काट दिया। जिसके बाद उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान किया। जिससे यहां मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है। यहां कांग्रेस ने कांग्रेस उम्मीदवार द्रौपदी कोली को चुनावी मैदान में उतारा है।
झुंझुनू विधानसभा सीट
शेखावाटी की झुंझुनू विधानसभा सीट राजस्थान की राजनीति में अहम स्थान रखती है। यहां भाजपा से बागी हुए राजेंद्र भांबू ने निर्दलीय चुनाव लड़ने के लिए नामांकन दाखिल किया है। जिससे यह सीट भी त्रिकोणीय मुकाबले में फंस गई है। यहां भाजपा ने बबलू चौधरी को चुनाव में उतारा है।
सांचौर विधानसभा सीट
सांचौर चुनाव में भाजपा के लिए चुनौती कम नहीं है। यहां भाजपा के पूर्व विधायक जीवाराम ने निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला किया है। ना सिर्फ भाजपा यहां कांग्रेस को भी उनके अपने नेता से ही टक्कर मिलेगी। यहां कांग्रेस नेता शमशेर अली ने ताल ठोक रखी है। जिस वजह से यहां मुकाबला चौतरफा हो चुका है।
मनोहरथाना विधानसभा सीट
झालावाड़ जिले की मनोहरथाना विधानसभा सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिलेगा। क्योंकि, कांग्रेस के पूर्व विधायक कैलाश मीना बागी हो चुके हैं। टिकट कटने से उनके समर्थक काफी नाराज भी हैं, ऐसे में कांग्रेस की हार जीत का गणित भी बिगड़ सकता है।

झोटवाड़ा विधानसभा सीट

पूर्व मंत्री राजपाल सिंह शेखावत ने निर्दलीय नामांकन भर दिया है। इनके अलावा आशुसिंह सुरपुरा भी निर्दलीय मैदान में है। भाजपा से राज्यवर्धन सिंह और कांग्रेस से अभिषेक चौधरी प्रत्याशी हैं। पिछले चुनाव में लालचंद कटारिया ने 10747 वोट से जीत दर्ज की थी।

खंडेला विधानसभा क्षेत्र

भाजपा से बंशीधर बाजिया (पूर्व राज्यमंत्री) बंशीधर बाजिया ने ताल ठोकी है। पिछली बार बाजिया ने भाजपा से चुनाव लड़ा था। इस चुनाव में कांग्रेस से टिकट नहीं मिलने पर सुभाष मील भाजपा में शामिल हो गए। कांग्रेस उम्मीदवार महादेव सिंह खंडेला हैं। खंडेला 4348 वोट जीते थे।

गंगानगर विधानसभा सीट

नगर परिषद में कांग्रेस की सभापति करूणा चांडक बागी होकर चुनाव मैदान में है, जिससे यह सीट त्रिकोणीय मुकाबले में है। कांग्रेस ने अंकुर मिगलानी और भाजपा ने जयदीप बिहाणी को टिकट दिया है। अभी यहां निर्दलीय राजकुमार गौड़ विधायक हैं। इनके जीत का मार्जिन 9180 रहा।

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