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एक शाम पुराने गीतों के नाम: संगीत की मधुर यादों का अनोखा संगम

संजय कुमार

कोटा, 18 अक्टूबर। शरद पूर्णिमा की चांदनी रात में, लाईक माइंडेड प्रोफेशनल ग्रुप, कोटा ने एक अविस्मरणीय संगीत संध्या “एक शाम पुराने गीतों के नाम” का आयोजन किया। विजय श्री रंगमंच, दशहरा मैदान, कोटा में आयोजित इस कार्यक्रम ने हिंदी सिनेमा के स्वर्ण युग की यादों को ताजा कर दिया। कार्यक्रम में शहर के सुप्रसिद्ध लोगो ने अपनी संगीत से समां बांधा।

कार्यक्रम की शुरुआत पवित्र णमोकार महामंत्र से हुई। ग्रुप के संस्थापक अध्यक्ष एम. एल. पाटौदी ने अपने स्वागत भाषण में कहा, “संगीत हमारी संस्कृति का अभिन्न अंग बताया। आई.जी. अमृत कलश ने कहा कि यह हमारे अतीत से जोड़ता है पुराने गीतो को सुनना नई उर्जा देता है। न्यायाधीश प्रेमचंद शर्मा ने कहा कि बडी संख्या कोटावासियों का आना संगीत के प्रति उनके प्रेम को दर्शाता है।

जयपुर से पधारे पूर्व कोटा आई.जी. अमृत कलश ने मुकेश का प्रसिद्ध गीत “दिलबर मेरे कब तक मुझे” गाया। इस गीत गाकर “पंचम दा के संगीत में वो जादू है मंच बिखेरा और पाण्डाल को मंत्रमुग्ध कर दिया।।” न्यायाधीश प्रेम चंद शर्मा ने “नफरत की दुनिया को छोड़कर” (फिल्म: हम दोनो, 1961) और “ओ साथी रे… तेरे बिना भी क्या जीना” गाकर श्रोताओं को भाव-विभोर कर दिया।

डॉ. गोविंद माहेश्वरी (एलन) ने “नीले गगन के तले धरती का प्यार” स्वर्गीय मन्नड़े की याद सभी के दिलों में जिंदा की।

डॉ. विजय सरदाना ने “ओह मेरे दिल के चैन” गाकर किशोर कुमार को श्रद्धांजलि दी।

आर.के. वर्मा रेजोरेंस ने “रुक जाना नहीं तू कहीं हार के” और “आदमी मुसाफिर है” गाकर मोहम्मद रफी सा की याद ताजा की। कार्यक्रम के संस्थापक और सूत्रधार सी.ए. अजय जैन ने “जाने कहां गये वो दिन” गाकर नोस्टाल्जिया का माहौल बना दिया। अमित बंसल ने ” महबूबा हो महबूबाा”, सी.ए. योगेश शर्मा ने “गुलाबी आंखें”,राजीव मलहोत्रा ने “मेरा जूता है जापानी,गरिमा गुप्ता ने “शीशा हो या दिल हो”,अनीशा जैन ने “ओ बाबुल प्यारे” गाकर भावुक कर दिया। कार्यक्रम में गोविंद राम मित्तल, जेटली सहित कई लोग उपस्तिथ रहे।

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