छप्पन भोग परिसर में बाबा जयगुरूदेव संगत द्वारा सत्संग का आयोजन
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संजय कुमार
कोटा, 14 मई। बाबा जयगुरूदेव संगत हाड़ौती संभाग द्वारा चम्बल गार्डन स्थित छप्पनभोग परिसर में सत्संग का आयोजन किया गया। सत्संग में पूरे हाड़ौती संभाग से धर्मप्रेमी शामिल हुए।
सत्संग में बाबा उमाकान्त महाराज ने कहा कि गृहस्थी के जंजाल मंे आदमी इतना फंस गया है कि आदमी उसके जंजाल से निकल नहीं पा रहा है। सत्संग ना मिलने के कारण जो असली चीज जो है उसको लोगों ने छोड़ दिया है। कोई कितना ही रूपया पैसा इकट्ठा कर ले, वो काम नहीं आएगा। असली चीज हमेशा काम आती है। ना काम आने वाली चीज दुनिया, धन-दौलत, घर-मकान, रूपया-पैसा, बाल-बच्चे ये सब आखिरी वक्त पर काम नहीं आते। आज आदमी का लालच इतना बढ़ गया है कि एक मकान होते हुए भी दस मकान की चाहत रखता है, दस एकड़ जमीन है तो पचास एकड़ हो जाए, एक दुकान है तो चार दुकान हो जाए, दुकान है तो कल कारखाना लग जाए, छोटी कुर्सी मिल गई तो उससे भी बड़ी कुर्सी मिल जाए। इसी के चक्कर मंे आदमी अपने जीवन का अमूल्य समय बर्बाद कर रहा है। सत्संग ना मिलने व सत्संगों में ना आने के कारण आदमी को ये मालूम ही नहीं है कि मनुष्य शरीर किसलिए मिला है और इसकी कीमत कितनी है, आदमी तो यही सोच रहा है कि खाओ-पीओ, मौज करो और दुनिया संसार से चले जाओ, जैसे पड़ौसी जा रहे है, जैसे बाप-दादा चले गए। इसी तरह से चले जाओ।
यही काम तो पशु और पक्षी भी करते हैं, वो भी खाते हैं, सोते हैं, बच्चा पैदा करते हैं और संसार से चले जाते हैं, वही काम अगर आदमी भी करे तो आदमी में और पशु-पक्षी में अंतर क्या रह जाएगा। तो फिर ये दिल-दिमाग और बुद्धि बनाने की उस ईश्वर को क्या जरूरत थी। जो आदमी सोच सकता है, कर सकता है उसको जानवर नहीं कर सकता है।
उन्होंने कहा कि आज समाज मंे युवा वर्ग नशे की लत मंे पड़ गया है, नशे के कारण आज घर-परिवार बर्बाद हो रहे हैं, यदि हम चाहें तो नशे को छोड़ सकते हैं, यह बहुत आसान है, बस हमें अपने मन को वश में करना होगा। सबकुछ मन पर ही निर्भर है। यदि आपने मन से यह संकल्प ले लिया कि अब हमें कोई नशा नहीं करना है तो आप कोई भी नशा छोड़ सकते हो और नशा छूट गया तो आपका शरीर भी स्वस्थ रहेगा और घर-परिवार और समाज में आपकी प्रतिष्ठा भी बढ़ेगी।