राजस्थान

राजस्थान शिक्षक संघ (सियाराम) का दो दिवसीय प्रांतीय शिक्षक अधिवेशन प्रारम्भ, टीचिंग का मतलब केवल पढ़ाना नहीं, बल्कि बच्चों की आंतरिक क्षमताओं को निखारना भी है

संजय कुमार

कोटा, 19 जनवरी। राजस्थान शिक्षक संघ (सियाराम) का दो दिवसीय प्रांतीय शिक्षक अधिवेशन शुक्रवार को रावतभाटा रोड़ स्थित डाइट परिसर में आरम्भ हुआ।सम्मेलन में प्रदेश के सभी जिलों से तकरीबन 3 हजार शिक्षक प्रतिनिधि हिस्सा लेने पहुंचे। सम्मेलन में शिक्षा, शिक्षार्थी और शिक्षकों की समस्याओं पर गंभीरता से विचार किया गया। पहले दिन शिक्षक संगोष्ठी और खुला शैक्षिक सम्मेलन हुआ।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि अतिरिक्त न्यायाधीश तथा जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव प्रवीण कुमार वर्मा थे। मुख्य वक्ता साधना आश्रम बोरखेड़ा के संस्थापक युधिष्ठिर सिंह थे। अध्यक्षता शिक्षक संघ के प्रदेश सभाध्यक्ष ललित आर पाटीदार ने की। मुख्य संरक्षक सियाराम शर्मा, मुख्य ब्लॉक शिक्षा अधिकारी खैराबाद सतीश कुमार गुप्ता, जय मिनेश विश्वविद्यालय के कुलपति देवीप्रसाद तिवारी, मुख्य जिला शिक्षा अधिकारी बूंदी डॉ.महावीर कुमार शर्मा,सीबीईओ ऋतु शर्मा, डाइट प्रधानाचार्य भवानीशंकर चौबदार, समसा एडीपीसी उषा पंवार सहित अन्य लोगों ने भी संबोधित किया।

कार्यक्रम के मुख्य वक्ता युधिष्ठिर सिंह ने कहा कि युवा पीढ़ी को विवेकानंद और दयानंद बनाने की जिम्मेदारी श्रेष्ठ शिक्षकों की है। शिक्षक को अपनी क्षमताओं का विस्तार करते हुए यह जिम्मेदारी निभानी होगी। शिक्षक उद्देश्य, उद्यम और उत्सर्ग के माध्यम से कार्य करें। शिक्षकों को अपनी न्यायोचित मांगों के लिए संगठित होना पड़ेगा। न्यायाधीश प्रवीण कुमार वर्मा ने कहा कि शिक्षक राष्ट्र का निर्माता है। बच्चों में हर प्रकार के विषय की जागरूकता फैलाने का सबसे बड़ा माध्यम स्कूल ही है। संगठन के मुख्य संरक्षक सियाराम शर्मा ने कहा कि टीचिंग का मतलब केवल पढ़ाना नहीं, बल्कि बच्चों की आंतरिक क्षमताओं को निखारना भी है। शिक्षा का मुख्य उद्देश्य बच्चों का सर्वांगीण विकास और उनमें राष्ट्रीयता भरकर संस्कारवान बनाना होना चाहिए। शिक्षक समर्पण भाव से शिक्षण कार्य में जुटें। उन्होंने कहा कि सभी सरकारें एक जैसी होती हैं, केवल ईमानदारी और चाल चलन का अंतर होता है।

सतीश कुमार गुप्ता ने कहा कि शिक्षक को अपनी पहचान बताने की आवश्यकता नहीं होती है।उसके द्वारा तैयार किया गया छात्र ही शिक्षक की पहचान है। उन्होंने कहा कि सभी शिक्षक संगठनों के प्रतिनिधियों को लेकर बोर्ड परीक्षाओं के बाद एक बैठक करने का प्रयास करेंगे। जिसमें विभिन्न विषयों पर विचार विमर्श कर छात्र और शिक्षक हित में किसी निष्कर्ष पर पहुंच सकेंगे। शिक्षा के क्षेत्र में जो भी कमियां हैं। उन्हें दूर करने के लिए सुझाव लेकर उपयुक्त कोशिश की जाएगी। ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षकों की कमी है। इसे दूर करने के लिए भी सरकार कोई नीति बनाएगी। कुलपति देवीप्रसाद तिवारी ने कहा कि शिक्षक विश्वविद्यालय के लिए बच्चों को तैयार करने वाले वास्तुविद हैं। माध्यमिक और उच्च शिक्षा के बीच की खाई को पाटने की जरूरत है। यूजीसी ने शिक्षकों की सेवानिवृत्ति के लिए 65 साल निर्धारित किए हैं, लेकिन राजस्थान में शिक्षक की सेवानिवृत्ति 60 साल में ही हो जाती है। जिसके कारण शिक्षकों की कमी हो रही है। शिक्षक के अलावा शिक्षा की गुणवत्ता के लिए माता-पिता और समाज भी जिम्मेदार हैं। डॉ. महावीर कुमार शर्मा ने कहा कि अब स्कूल का बालक कोरा कागज नहीं है। सोशल मीडिया के दौर में शिक्षा में नवाचार की भी जरूरत रहती है। संचालन प्रहलाद धाकड़ ने किया।

कार्यक्रम में प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र शर्मा, प्रदेश महामंत्री रामदयाल मीणा, कार्यक्रम संयोजक मोहन धाकड़, सहसंयोजक राजसिंह, देवेंद्र राठौर, त्रिलोकचंद मीना, मुकेश गौतम, सुरेश मालव, हरिओम प्रजापति, ऋतु शर्मा समेत कई लोग मौजूद रहे।

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