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“वासनाओं का त्याग करके ही प्रभु से मिलन संभव”- राष्ट्रीय कार्ष्णि संत ब्रह्मानंद बालयोगी

संजय कुमार

कोटा, 18 मई।
राष्ट्रीय कार्ष्णि संत ब्रह्मानंद बालयोगी महाराज ने श्रीमद्भागवत कथा के तीसरे दिन शनिवार को सनातन धर्म राम मन्दिर दादाबाड़ी पर व्यासपीठ से ध्रुव चरित्र, भक्त प्रह्लाद चरित्र और नरसिह अवतार प्रसंग पर कथा सुनाई। बालयोगी महाराज ने कहा कि हमारे सभी अवतार पवित्र पावन भूमि भारत में हुए हैं। भारत देश दुनिया में आर्यावर्त के नाम से जाना जाता था। जिसका मतलब है, श्रेष्ठ लोगों की धरती और भारत का अर्थ है, ज्ञान में रत लोगों की धरती। आज हिंदू प्रतीकों और प्रतिमानों पर गर्व करने का समय है। हमारी संस्कृति वसुधैव कुटुंबकम् का संदेश देने वाली और विश्व के कल्याण की कामना करने वाली है।

उन्होंने कहा कि हिरण्यकश्यपु सबको आदेश दे रहा है कि भक्त प्रह्लाद को खत्म करो, भस्म करो। लकड़ियों के चारों तरफ जल्लाद खड़े कर दिए गए। इस दौरान जब आग का भयानक जलवा हुआ, तब भक्त प्रहलाद ने इतना ही कहा अच्छा भगवान, अच्छा मेरे राम तेरी मर्जी और भक्त प्रह्लाद बच गए। नरसिंह अवतार में हिरण्यकश्यपु को मार कर भक्त प्रह्लाद को बचाया। भगवान की भक्ति में ही शक्ति है। उन्होंने कहा कि सभी अपने बच्चों को संस्कार अवश्य दें, जिससे वह बुढ़ापे में अपने माता पिता की सेवा कर सकें, गो सेवा, साधु की सेवा कर सकें।

उन्होंने कहा कि नारायण की भक्ति में ही परम आनंद मिलता है। उसकी वाणी सागर का मोती बन जाती है। भगवान प्रेम के भूखे हैं। वासनाओं का त्याग करके ही प्रभु से मिलन संभव है। उन्होंने श्रद्धालुओं से कहा कि वासना को वस्त्र की भांति त्याग देना चाहिए। भागवत कथा का जो श्रवण करता है, भगवान का आशीर्वाद उस पर सदा बना रहता है।

कथा के दौरान बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे। अंत में आरती कर प्रसाद वितरण किया गया।
व्यासपीठ का पूजन कमल माहेश्वरी तथा गीता देवी मूंदड़ा ने किया। प्रवक्ता लीलाधर मेहता ने बताया कि कथा का समय प्रतिदिन दोपहर 2 से 6 बजे तक है।

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