धुएं से घुटने लगा दम, पुरा नांता क्षेत्र बना गैस चेंबर, प्रदूषण विभाग आखिर क्यों नहीं करता नगर निगम पर सख्त कार्रवाई?
जैसे-जैसे धुआं बढ़ता गया सड़कों पर निकल आए लोग
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संजय कुमार
कोटा, 17 मई।
रात करीब 8 बजे के आसपास ट्रेचिंग ग्राउंड में आग लगने से पुरा नांता क्षेत्र गैस का चेंबर बन गया, विशाल धुएं का गुबार उठने से स्थानीय लोगों का दम घुटने लगा, लोग सड़कों पर निकल आए जैसे-जैसे धुआं बढ़ता गया एक-एक करके करणी नगर के निवासी करणी नगर तिराहे पर जमा होने लगे। देर रात तक दमकलों का इंतजार करने के बाद 10:30 बजे के करीब दमकलों ने धीरे-धीरे आग पर काबू पाया। खांसते लोग घरों में रह नही पाए मासूम बच्चे बेहोश होने लगे, ऐसी स्थिति हो गई लगा मर जायेंगे। गौरतलब है कि स्थानीय निवासी लगातार ट्रेचिंग ग्राउंड को हटाने की मांग कर रहे हैं परंतु प्रशासन अभी तक इसका कोई समाधान नहीं निकाल पाया। प्रशासन व नगर निगम के इस दोहरे रवैया के कारण लोगों में भयंकर रोष व्याप्त है।
ऐसे में नगर निगम प्रशासन द्वारा दिनों दिन लोगों में शासन, प्रशासन के प्रति अविश्वास का भाव पैदा हो रहा है। ” निगम प्रशासन होश में आओ” के साथ आने वाले समय में चेतावनी पूर्वक कहा गया कि अभी तो हमें घरों से निकलना पड़ रहा है हो सकता है हमें उग्र प्रदर्शन भी करना पड़ जाए ऐसे में हमारे जीवन और स्वास्थ्य की रक्षा करना प्रशासन की प्राथमिक जिम्मेदारी है। यदि प्रशासन इस तरह का कार्य नहीं कर सकता तो फिर हम भी सड़कों पर आने के लिए मजबूर होना पडेगा। सैकड़ो स्थानीय लोगों ने हाथ जोड़कर एक मानव श्रृंखला बना कर प्रशासन को जागने का प्रयास किया। स्थानीय लोगों ने कहा कि आखिर हम कब तक हम हवा के रुके बदलने का इंतजार करते रहे ऐसे मैं ना तो हम कूलर चला सकते हैं ना ही पंखा। गर्मियों के दिनों में हमें घर में रहना मुश्किल हो गया है, छत पर जा नहीं सकते क्योंकि धुंआ चारों तरफ फैला हुआ रहता है। प्रशासन को मानवीय दृष्टिकोण अपनाना ही होगा, हमारा टकराव अब सीधा-सीधा प्रशासन से है क्योंकि प्रशासन लगातार 2 महीना से चली आ रही समस्या को दूर करने में असक्षम नजर आ रहा है।
स्थानीय लोगों का आरोप
स्थानीय लोगों ने आरोप लगाया कि ट्रेचिंग ग्राउंड पर आग लगने का मुख्य कारण निगम के वहीं के कर्मचारी के साथ ठेकेदार के लोग भी है जो ठेकेदार के कहने पर सूखे कचरे के निस्तारण के लिए आग लगाकर उसे खत्म करने की कोशिश करते हैं।
प्रशासन का क्या कहना है – प्रशासन का कहना है की गीले और सूखे कचरे के सड़ने से वहां मीथेन गैस बनती है जिससे वहां आग लग जाती है। जल्द ही इसके निस्तारण के उपाय किए जाएंगे।
बेजुबान जानवरों का क्या होता होगा हाल
ट्रेचिंग ग्राउंड के कचरे में लगने वाली आग का धुआं, कचरे के सड़ने से उठने वाली जहरीली गैसें पास में स्थित बायोलॉजिकल पार्क में मौजूद बेजुबान जानवरों पर भी असर डाल रही है। एक तरफ तो वन्यजीवों का संरक्षण कर उन्हें बचाने के प्रयास किया जा रहे हैं और दूसरी तरफ इन जीवों को यहां पर लाकर रोज मौत के मुंह में डाला जा रहा है आखिर इन बेजुबानों से प्रशासन चाहता क्या है। ऐसे वातावरण में तकनीकी दृष्टि से देखें तो यह बायोलॉजिकल पार्क इन संरक्षित जानवरों का मौत का घर बन गया है।
नगर निगम के नंता स्थित ट्रेचिंग ग्राउंड से स्थानीय निवासी अब अपने स्वास्थ्य और मासूम बच्चों के जीवन को लेकर पूरी तरह हार चुके हैं। कोटा प्रशासन, प्रदूषण विभाग, नगर निगम रोजाना सैकड़ो लोगों के जीवन में से एक-एक दिन कम कर के उनको मौत के करीब ले जा रहा हैं। आखिर रोज मरते इन लोगों का जिम्मेदार कौन होगा।