बैंक कर्मचारी अगले माह से जाएंगे अनिश्चितकालीन हड़ताल पर, जाने क्या है पूरा मामला?
बैंकों के निजीकरण से जमा पूंजी की सुरक्षा पड़ जाएगी खतरे में
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संजय कुमार चौबीसा
कोटा, 5 नवंबर। बैंकों के निजीकरण से जमा पूंजी की सुरक्षा खतरे में पड़ जाएगी। बैंक के निजीकरण के विरोध समेत विभिन्न मांगों को लेकर बैंक कर्मचारी अगले माह से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाएंगे। ऑल इंडिया बैंक एम्प्लाइज एसोसिएशन के महासचिव सीएच वेंकटाचलम तथा सचिव रामबाबू ने रविवार को पत्रकारों से यह बात कही। वे बूंदी रोड स्थित एक निजी गार्डन में सेंट्रल बैंक कर्मचारी यूनियन राजस्थान के आठवें प्रांतीय अधिवेशन में भाग लेने के लिए कोटा आए थे।
इस दौरान क वेंकटाचलम ने कहा कि बैंकों के निजीकरण से निजी बैंक जमा पूंजी का दुरुपयोग करेंगे। देश के विकास के लिए बैंक के पास पैसा जमा है। इस जमा पूंजी की सुरक्षा के लिए पब्लिक सेक्टर के बैंक जरूरी हैं निजी बैंक खुलने से गांव में बैंकिंग सेवा बंद हो जाएगी।
उन्होंने कहा कि सरकारी बैंक पब्लिक को सर्विस देना चाहते हैं। लेकिन कर्मचारियों की कमी के कारण उपभोक्ता को पूरी सेवा नहीं मिल पा रही है। आज सरकारी बैंकों के पास 80 करोड़ कस्टमर हैं। लेकिन बैंकों में दो लाख पद खाली हैं। जिन्हें नहीं भरा जा रहा है। पब्लिक सेक्टर के बैंक के बिना सरकार का अच्छे दिन आने का नारा खोखला ही है।
उन्होंने कहा कि बैंक कर्मचारी अपने वेतन, बोनस या डीए के लिए नहीं लड़ रहा है। वह जनता के बैंकों में जमाधान की सुरक्षा और उसको उपयुक्त सेवा प्रदान करने के लिए संघर्ष कर रहा है। वेंकटाचलम ने कहा कि यदि निजीकरण का फैसला वापस नहीं लिया गया तो बैंक कर्मचारियों को संघर्ष का रास्ता अपनाना होगा।
संगठन के यूनियन के सचिव रामबाबू ने कहा कि देशभर में सेंट्रल बैंक के 4600 ब्रांच हैं।राजस्थान में भी बड़ी संख्या में बैंक है और कोटा में लीड बैंक चल रहा है। इन बैंकों में कर्मचारियों की कमी के कारण सर्विस प्रभावित हो रही है। इन बैंकों में 5 लाख 80 हजार करोड़ रुपए सेंट्रल बैंक में डिपॉजिट हैं। इन बैंकों में 40 हजार कर्मचारी काम करते थे। जो अब घटकर 32 हजार रह गए हैं। क्लर्क जैसे पद भी खाली पड़े हुए हैं। वहीं कर्मचारियों को प्रताड़ित करते हुए 4 हजार लोगों का ट्रांसफर कर दिया गया। इनमें महिला और दिव्यांग भी शामिल हैं। केरल हाई कोर्ट ने इन स्थानांतरण पर रोक लगाई है। अब भाषा के आधार पर ट्रांसफर करने का प्रपोजल दिया जा रहा है। इससे भी एम्पलोई की फैमिली की तकलीफ ही बढ़ेगी। इन अव्यावहारिक स्थानांतरण के विरुद्ध बैंक कर्मचारी लंबी लड़ाई लड़ने के लिए तैयार है। उन्होंने कहा कि पहले 70% पद इंटरनल कोटे से और 30% पद रिक्रूट करके भरे जाते थे। अब सरकार ने 30% इंटरनल कोटे से तथा 70% रिक्रूटमेंट के द्वारा पद भरने का मसौदा तैयार किया है।
उन्होंने कहा कि विभिन्न मांगों को लेकर सरकार से बातचीत हुई है।लेकिन कोई हल नहीं निकला। दिवाली के बाद एक बार फिर अंतिम रूप से चेतावनी दी जाएगी। उसके बाद भी कोई रास्ता नहीं निकला तो संघर्ष के अलावा और कोई रास्ता नहीं बचेगा। इसके बाद बैंक कर्मचारी लंबी लड़ाई की तरफ आगे बढ़ेंगे। पहले नवंबर दिसंबर में दो-दो बैंक 13 दिन तक हड़ताल करेंगे। उसके बाद अनिश्चितकालीन हड़ताल प्रारंभ कर दी जाएगी।