रंगोली सजाई, बने स्वागत द्वार, गुरुदेव आदित्य सागर का आर के पुरम में मंगल प्रवेश
प्रमुख संवाद
कोटा, 30 सितम्बर। सुंदर रंगोलियों से सजा विहार मार्ग, दूर से दिखती जैन पताका, गाजे-बाजे और गुरुदेव के जयकारों से गुंजता विहार मार्ग, हर्षोल्लास से नाचते-गाते जैन बंधु, गुरुदेव आदित्य सागर के मंगल प्रवेश से खुशियों का माहौल, गुरूदेव की अगवानी में बने भव्य तोरण द्वार, पादप्रच्छालन कराते लोग यह नजारा था श्रुतसंवेगी श्रमणरत्न मुनि श्री 108 आदित्यसागर जी मुनिराज ससंघ का जवाहर नगर से आरके पुरम की ओर विहार किया। सकल समाज के अध्यक्ष विमल जैन नांता ने बताया कि वर्षायोग कर रहे मुनित्रय का अल्पकालीन प्रवास आर के पुरम के लिए 14 अक्टूबर के लिए हुआ है। प्रचारमंत्री मनोज जैन आदिनाथ ने बताया कि दिगंबर जैन मंदिर त्रिकाल चौबीसी आरकेपुरम के अध्यक्ष अंकित जैन व मंत्री अनुज जैन ने गुरुदेव की अगवानी के लिए भव्य तैयारियां की थीं। सोमवार प्रातःकाल 07 बजे कोटा में विहार में सैकड़ों लोग गुरुदेव के साथ रहे।
तोरण द्वार व रंगोलियों से सजा मार्ग
अध्यक्ष अंकित जैन ने बताया कि विहार मार्ग को सुंदर रंगोलियों से सजा रखा था। विहार मार्ग में 80 से अधिक तोरण द्वार बनाए गए थे। प्रातः 07 बजे गुरुदेव आदित्य सागर ससंघ विहार पर जैन धर्मावलंबियों के साथ निकले। जैन पताका और गुरुदेव की चित्र तख्तियां लेकर जैन समाज के लोग विहार में जयकारे लगाते हुए निकल रहे थे। राजेंद्र गोधा व पारस बज ने बताया कि डीजे की धुन पर नाचते गाते ढोल बजाते लोग आगे बढ़े जा रहे थे। गुरुदेव अकलंक स्कूल, तीन बत्ती, संतोषी नगर सर्किल, टीवीसी सर्किल, बीएसएनएल सर्किल, डीपीएस स्कूल होते हुए आर के पुरम जैन मंदिर पहुंचे। मार्ग में जगह-जगह अगवानी की गई और पाद प्रक्षालन करते दिखे। इस अवसर पर सकल समाज से संयोजक राजमल पाटोदी, कार्याध्यक्ष जे के जैन, चातुर्मास समिति से टीकम पाटनी, पारस बज, राजेंद्र गोधा, पारस लुहाड़िया, संयम लुहाड़िया, तारा चंद बड़ला, जिनेंद्र जैन जज साहब, पंकज खटोड़, तारा चंद बड़ला,सुरेन्द्र चांदवाड़ सहित कई लोग गुरुदेव के साथ विहार मार्ग में चलते रहे।
पंचकल्याणक महामहोत्सव नवंबर माह में
आर के पुरम जैन मंदिर अध्यक्ष अंकित जैन ने बताया कि सभा स्थल पर श्रुतसंवेगी श्रमणरत्न मुनि श्री 108 आदित्यसागर जी मुनिराज, मुनि श्री 108 अप्रमित सागर, श्रमणरत्न मुनि श्री 108 सहज सागर, मुनिराज एवं क्षुल्लक श्रेयस सागर जी महाराज का ससंघ भव्य मंगल प्रवेश पर आर के पुरम महिला मंडल द्वारा मंगलाचरण किया गया। इस अवसर पर पंडाल उद्घाटन एवं दीप प्रज्वलनकर्ता का सौभाग्य कमला देवी-राजेंद्र जैन, अंजलि जैन-विनोद जैन, इंदिरा जैन-मुकेश जैन, मेघा जैन-लोकेश जैन, दीप्ति जैन-चित्रेश जैन, शेफाली जैन-चंचल जैन, प्राची-खुशी-प्रेरक-देवांशी-चुटकी सोनी परिवार सीसवाली वालों को प्राप्त हुआ। तथा पाद प्रक्षालन का सुअवसर महेंद्र-इंदिरा, रोहित-सोनिका, नवनीत-आयुषी, मोनू-हिमाया-नवांशी लंबा बस परिवार को प्राप्त हुआ तथा जिनवाणी भेंट कर्ता सुगना देवी, चंद्रेश-सीमा, कु. तनीषा, सक्षम जैन हरसौरा रहे। इसके पश्चात् जैन मंदिर ऋद्धि-सिद्धि नगर कुन्हाड़ी के अध्यक्ष राजेंद्र गोधा, सचिव पंकज खटोड़, कोषाध्यक्ष तारा चंद बड़ला, पारस कासलीवाल, पारस लुहाड़िया, चातुर्मास समिति के अध्यक्ष टीकम चंद पाटनी, मंत्री पारस बज, कोषाध्यक्ष निर्मल अजमेरा ने गुरुदेव को श्रीफल भेंट कर पंचकल्याणक की मांग की और गुरुदेव ने उन्हें आशीर्वाद देते हुए नवंबर माह में पंचकल्याणक महामहोत्सव करवाने की स्वीकृति प्रदान की। शाम को गुरुदेव ने श्रुतसमाधान कर लोगों को सत्य की राह दिखाई। महाआरती में सैकडो लोगो ने भाग लिया।
लाभ के मद में सहजता न त्यागें
श्रमण श्रुतसंवेगी श्री 108 आदित्य सागर जी ने प्रवचन में कहा कि हमें उपलब्धि प्राप्त हो या कोई लाभ हो हमें सहज बने रहना चाहिए। लोभ में आकर या उपलब्धि व लाभ के मद में असहजता नहीं प्रकट करनी चाहिए। सहज रहकर अन्य को सम्मान देना चाहिए। गुरुदेव ने आध्यात्मिक प्रबंधन में कहा कि हमें अपनी सहजता या प्राकृतिक स्वभाव को नहीं खोना चाहिए। सफलता के समय में, अपने मूल्यों और विनम्रता को न भूलें। लाभ या उपलब्धियों से अहंकार न आने दें। उन्होंने कहा कि कृत्रिमता या दिखावे से बचें, चाहे आपकी स्थिति कितनी भी अच्छी क्यों न हो। उन्होंने दूसरों के प्रति संवेदनशील रहने का संदेश देते हुए कहा कि अपनी सफलता में भी दूसरों की भावनाओं और आवश्यकताओं के प्रति संवेदनशील रहकर कार्य करना चाहिए।