प्रमुख संवाद
कोटा, 28 अगस्त। आई बैंक सोसाइटी ऑफ राजस्थान के कोटा चैप्टर इकाई की ओर से दिनांक 28 अगस्त 2024 (बुधवार) को राजकीय कला महाविद्यालय, कोटा में नेत्रदान पखवाड़े का उद्घाटन एवम् नेत्रदान जागरूकता संगोष्ठी आयोजित की गई। प्रधानाचार्य डा. रोशन भारती ने बताया कि संगोष्ठी में डॉ के. के. कंजोलिया (अध्यक्ष, आई बैंक सोसायटी ऑफ राजस्थान कोटा चैप्टर), डाॅ. सुरेश पाण्डेय (काॅर्डिनेटर, आई बैंक सोसायटी आॅफ राजस्थान कोटा चैप्टर), समाजसेवी जी.डी. पटेल, समाजसेवी अनिता चैहान व टैक्निशियन टिंकू ओझा सहित प्रधानाचार्य डॉ रोशन भारती एवं महाविद्यालय के शिक्षकगण एवं लगभग 500 विद्यार्थी उपस्थित थे।
डॉक्टर के. के. कंजोलिया ने बताया कि संसार में हर 4 में से 1 भारतीय व्यक्ति, अंधता से पीड़ित हैं। नेत्रदान मरने के उपरांत 6 से 8 घंटे में ही लिया जाता हे, उसमे भी केवल काॅर्निया ही लिया जाता है, जिसमे 15 मिनट का समय ही लगता है।
उद्बोधन में वरिष्ठ नेत्र सर्जन डॉक्टर सुरेश पाण्डेय ने जानकारी देते हुए बताया कि आँखें हमारे जीवन में कितनी अहम भूमिका निभाती है एवं आँखों के अभाव में जीवन कितना मुश्किल हो सकता है इसकी कल्पना कुछ मिनट हम अपनी आँखें बंद करके कर सकते है। हमारी आँखें जीवनभर हमें रोशनी देती हैं वरन हमारे मरने के बाद वह किसी और की जिंदगी से भी अँधेरा हटा सकती हैंए लेकिन जब बात नेत्रदान की होती है तो काफी लोग इस अंधविश्वास में पीछे हट जाते है कि कहीं अगले जन्म में वह नेत्रहीन पैदा नहीं हो जाएं। समाज में प्रचलित इस अंधविश्वास की वजह से काॅर्नियल अँधता से पीड़ित दुनियां के लाखों लोगों को जिंदगी भर अँधेरे में ही रहना पड़ता है। डाॅ. सुरेश पाण्डेय ने बताया कि विश्व में प्रत्येक पाँच सेकण्ड में एक वयस्क व्यक्ति एवं प्रति मिनट एक बच्चा अँधता के अभिशाप से ग्रस्त होता है। विश्वभर में चार करोड़ तीस लाख व्यक्ति अँधता के अभिशाप से ग्रसित हैं। भारत में लगभग एक करोड़ 80 लाख व्यक्ति अँधेपन से ग्रस्त हैं। देश में अँधता दृष्टि बाधिता के पांच प्रमुख कारण मोतियाबिन्द, काला पानी (ग्लूकोमा), दृष्टि दोष, रेटिना (पर्दे) की बीमारियां एवं आँख की पारदर्शी पुतली (काॅर्नियां) में होने वाले रोग आदि है। भारत में कुल अँधता का लगभग 1 प्रतिशत काॅर्नियल ब्लाइंडनेस के कारण है। देश के एक लाख बीस हजार लोगों के दोनों आँखों का काॅर्निया अँधता की स्थिति तक खराब है और लगभग दस लाख लोगों के दोनों आँखों का काॅर्निया प्रभावित है, जिसके कारण उन्हें कम दिखता है। लगभग 68 लाख लोगों का एक काॅर्निया प्रभावित है। हर वर्ष लगभग 25-30 हजार रोगी काॅर्निया खराब होने के कारण अँधता से ग्रसित हो रहे है। इन सब में से लगभग 50 प्रतिशत रोगी काॅर्नियल ट्रांसप्लांट (पारदर्शी पुतली के प्रत्यारोपण) द्वारा रोशनी वापस प्राप्त कर सकते है। हर वर्ष कम से कम दो लाख पचास हजार काॅर्निया की आवश्यकता है, परन्तु प्रतिवर्ष 50 हजार के लगभग ही नेत्रदान हो पाते है।
नेत्रदान जागरूकता परिचर्चा के दौरान डाॅ. सुरेश पाण्डेय ने नेत्र माॅडल के माध्यम से नेत्र की संरचना, विभिन्न नेत्र रोग, दृष्टि दोष, इत्यादि की विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने नेत्रदान से सबंधित भ्रांतियों का निवारण किया एवम् बताया कि विश्व में प्रत्येक पाँच सेकण्ड में एक वयस्क व्यक्ति एवं प्रति मिनट एक बच्चा अँधता के अभिशाप से ग्रस्त होता है। विश्वभर में चार करोड़ तीस लाख व्यक्ति अँधता के अभिशाप से ग्रसित हैं। भारत में लगभग एक करोड़ 80 लाख व्यक्ति अँधेपन से ग्रस्त हैं। देश में अँधता दृष्टि बाधिता के पांच प्रमुख कारण मोतियाबिन्द, काला पानी (ग्लूकोमा), दृष्टि दोष, रेटिना (पर्दे) की बीमारियां एवं आँख की पारदर्शी पुतली (काॅर्नियां) में होने वाले रोग आदि है। भारत में कुल अँधता का लगभग 1 प्रतिशत काॅर्नियल ब्लाइंडनेस के कारण है। देश के एक लाख बीस हजार लोगों के दोनों आँखों का काॅर्निया अँधता की स्थिति तक खराब है और लगभग दस लाख लोगों के दोनों आँखों का काॅर्निया प्रभावित है, जिसके कारण उन्हें कम दिखता है। लगभग 68 लाख लोगों का एक काॅर्निया प्रभावित है। हर वर्ष लगभग 25-30 हजार रोगी काॅर्निया खराब होने के कारण अँधता से ग्रसित हो रहे है। इन सब में से लगभग 50 प्रतिशत रोगी काॅर्नियल ट्रांसप्लांट (पारदर्शी पुतली के प्रत्यारोपण) द्वारा रोशनी वापस प्राप्त कर सकते है। हर वर्ष कम से कम दो लाख पचास हजार काॅर्निया की आवश्यकता है, परन्तु प्रतिवर्ष 50 हजार के लगभग ही नेत्रदान हो पाते है। संगोष्ठी के अंत में प्रधानाचार्य ने सभी का आभार व्यक्त किया।