श्रमण श्रतुसंवेगी श्री 108 आदित्य सागर मुनिराज संघ का कोटा में चार्तुमास प्रारंभ, अगवानी में जुटा सकल जैन समाज
संजय कुमार
कोटा, 7 जुलाई। चंद्र प्रभु दिगम्बर जैन समाज समिति की द्वारा श्रमण श्रतुसंवेगी श्री 108 आदित्य सागर मुनिराज संघ का भव्य चार्तुमास मंगल प्रवेश बूंदी रोड़ स्थित चंद्रप्रभु दिगम्बर जैन मंदिर रिद्धि—सिद्धि नगर कुन्हाडी में हुआ। मंदिर अध्यक्ष राजू गोधा व महामंत्री पारस कासलीवाल ने बताया कि केशवराय पाटन तिराहे मार्ग त्रिकुटा से श्रमण श्रतुसंवेगी श्री 108 आदित्य सागर मुनिराज,अप्रमित सागर और मुनि सहज सागर महाराज संघ का मंगल प्रवेश भव्य शोभायात्रा के साथ हुआ। शोभायात्रा में सकल दिगम्बर जैन समाज के अध्यक्ष विमल जैन नांता,राजमल पाटोदी, कार्याध्यक्ष जे के जैन व प्रकाश बज, विनोद जैन टोरडी, मनोज जैन आदिनाथ, नरेश जैन वेद, मनोज जैन आदिनाथ अशोक पहाड़िया,पारस जैन सहित कई लोग उपस्थित रहे। प्रतिदिन आध्यात्मिक विशुद्ध ज्ञान पावन वर्षा योग के तहत धर्मसभा होगी। मुख्य पाद प्रच्छालन का सौभाग्य जम्बू कुमार ,पारस कुमार बज परिवार व शास्त्र भेंट करने का गौरव निर्मल व नीरज कुमार अजमेरा परिवार को मिला।
पाद प्रच्छालन में उमड़ा सकल समाज
चातुर्मास आयोजन समिति के अध्यक्ष टीकम चंद पाटनी व पंकज खरोड़ ने बताया कि पावन वर्षायोग में रविवार को गुरुदेव संघ का मंगल प्रवेश केशोरायपाटन तिराहे मार्ग से प्रारंभ हुआ। 108 स्वागत द्वारा,रंगोली,घोड़े व जैन ध्वज पताका लिए हुए नन्हे बालक अगुवानी कर रहे थे। उन्हे पीछे 51 कारें व 51 मोटर साईकिल धर्म संदेश देती हुई चल रही। समिति के संजय लुहाडिया व पासर बज ने बताया कि ट्रैक्टर व ट्रॉली पर जीवंत झांकी से महावीर के संदेश,पर्यावरण संरक्षण का संदेश देती चल रही थी।
जयकारा गुरूदेव का
टीकम चंद पाटनी ने बताया कि श्रमण श्रतुसंवेगी श्री 108 आदित्य सागर जी मुनिराज,अप्रमित सागर और मुनि सहज सागर के मंगल आगमन पर भव्य शोभायात्रा में आधा दर्जन दिव्य घोष महिला बैंड अपनी सुर लहरियां बिखरते जा रहे थे। उनके पीछे महिला व पुरूष गुरूदेव का जयकारा लगाते हुए आगे बढ़ रहे थे और गुरूदेव की चरणो की धूल सिर लागते नजर आ रहे थे।
मार्ग में वात्सल्य ग्रुप द्वारा शुद्ध आहार की झांकी सजाई गई। चक्की से आटा,हाथो के मसाले व कुए से पानी निकालने का प्रदर्शन किया। पदम प्रभु बालिता मंडल द्वारा भी विशेष झांकी सजाई गई। सखी सुलोचना ग्रुप द्वारा पंच परमेष्ठी की झांकी सजाई गई।
पुण्य उदय होने पर चातुर्मास में आते है
श्रमण श्रतुसंवेगी श्री 108 आदित्य सागर जी मुनिराज संघ ने अपने उद्बोधन में कहा कि जब मनुष्य का पुण्य उदय होते होते है तो वह चातुमार्स में आते है। उन्होने कहा कि इस अवसर पुण्य कर्मों के कारण ही प्राप्त होता है। उन्होने चातुमार्स की व्याखया करते हुए कहा कि चरित्र,तप,मैत्री व समता को जागृत करने का समय चातुर्मास है। इस समय हमें अपने अंदर जिनवाणी को उतारना है। उन्होने कहा कि यह चातुर्मास अभूतपूर्व,आध्यात्मिक व एतिहासिक होगा। समस्त कोटा के लोग जुड़कर इसमें लाभ सकते है। शहर में विभिन्न स्थानों पर धर्मसभा आयोजन भी होगा। उन्होंने भक्तों से कहा कि नगर में एक से अधिक संतों का चातुर्मास हो तो यह और भी आन्नददायक है।