विधानसभा

विधायक शांति धारीवाल गाली प्रकरण- विधानसभा में माफी मांग कर खेद प्रकट किया..

Sanjay kumar, Jaipur 30 July

शांति धारीवाल का विधानसभा में स्पष्टीकरण.. विधायक शांति धारीवाल ने सदन में कहा-‘अगर मेरे द्वारा कही गई बातों का बुरा माना गया तो मैं खेद प्रकट करता हूं’

शांति धारीवाल ने कहा – मैं 40 साल से लगातार जनता के द्वारा सदन में भेजा जा रहा हूं, मैं आसान को सर्वोच्च मान कर चला हूं, अपमान करने की मेरी कोई दुर्भावना नहीं थी, संदीप शर्मा सभापति बने तब मैंने कहा था- इस पूरे सदन में मैं ही सबसे ज्यादा खुश हूं संदीप शर्मा आसान पर विराजमान हैं, संदीप की बात है मेरे बेटे के दोस्त के दोस्त हैं, मेरी उनसे इसी प्रकार की बात चलती रहती है उन्होंने कभी मेरी बात का बुरा नहीं माना, उसे दिन उन्होंने मुझे बोलने से रोका तो मुझे लगा की संदीप जी आसन पर नहीं मेरे सामने बैठे तब इस प्रकार के बाद मेरे से निकल गई, मैं खुद मानकर चलता हूं की वह मेरी गलती थी स्वीकार करता हूं लेकिन वह बात मजाक में थी, सदन में उत्तेजना से भी बात होती है मजाक में भी बात होती है और भवावेश से भी बात होती है, संदीप जी ने मेरी किस बात का बुरा नहीं मान होगा और यदि उन्हें बुरा लगा हो तो मैं माफी मांगता हूं..

विधानसभा अध्यक्ष ने कहा – संदीप जी से नहीं जो बात सदन में बोली गई उसके लिए माफी मांगे, शांति धारीवाल ने कहा जो मेरे द्वारा कहा गया उस बात के लिए मैं खेद प्रकट करता हूं, सदन से माफी मांगता हूं और खेद प्रकट करता हूं, वासुदेव देवनानी ने कहा- मुझे बहुत बुरा लगा है की पांचवी बार सदन में निर्वाचित हुए उन्हें सदन की परंपराओं नियमों का ज्ञान है संसदीय मंत्री रहे हैं सदन को मर्यादित बनाना है, हम सब के लिए लोकतंत्र के लिए शर्मनाक और चिंतनीय है, पीड़ा दायक भी है, परेशान है तो घर पर बैठिए सदन में परेशानी में बोलने की आवश्यकता नहीं है, व्यवहार और स्वास्थ्य ठीक नहीं था तो आवश्यक नहीं है की मुंह से ऐसे शब्द निकले, चैनल पर चला तब पूरे सदन की ओर राजस्थान विधानसभा की प्रतिष्ठा मर्यादा को ठेस पहुंची, माफ करने से, माफी मांगने से कम नहीं हो सकती, यह हमारे लिए संपूर्ण राजस्थान में पूरा देश देख रहा है मान मर्यादा और विधानसभा की छवि पर गंभीर असर हुआ है, इसलिए आज मेरी अंतिम चेतावनी है, कड़ी कार्रवाई करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा चाहे कोई भी हो, देवनानी बोले मेरी मंशा थी की ऐसे आचरण के बाद 4 साल तक सदन की सदस्यता रहने का हक नहीं है लेकिन सदस्यों से चर्चा के बाद सदस्य आज और कल सदन में आएंगे लेकिन कार्रवाई में शामिल नहीं होंगे..

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