विश्व प्रवासी पक्षी दिवस के अवसर पर एक बर्ड वाचिंग कार्यक्रम का आयोजन
प्रमुख संवाद
कोटा, 11 मई।
विश्व प्रवासी पक्षी दिवस के अवसर पर वन विभाग वन्यजीव द्वारा एवं हाडोट आई प्राकृतिक समिति द्वारा एक बर्ड वाचिंग कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
बायोलॉजिकल पार्क और यहां पर ऐतिहासिक अभेडा महल में जलीय विविधता के बहुत ही अनुपम और सुंदर उदाहरण है। इस क्षेत्र में अभेद बायोलॉजिकल पार्क बनने के बाद प्रवासी पक्षियों के लिए अपने प्रजनन अस्थाई आवास के रूप में एक नया वातावरण तैयार हुआ है। इस अवसर पर करीब डेढ़ सौ से अधिक विभिन्न प्रकार की प्रजातियों के पक्षी और लोकल चिड़ियाओं गिद्ध, चील आदि को यहां पर पर्यटको ने दूरबीनों की सहायता से देखा। चील के साथ बैठे स्विफ्ट पक्षी को प्राकृतिक विविधता में एकता का एक सचित्र उदाहरण के रूप में देखकर प्रकृति प्रेमियों के रोमांच का ठिकाना ना रहा,वही बाज के साथ एक ही डाल पर बैठे तोते वही तोते के साथ चोंच लडाते कठफोड़वा पक्षी को देखना अत्यंत ही दुर्लभ और यादगार पल रहा।
ए एफ ओ अनुराग भटनागर ने बताया कि प्रवासी पक्षी उन्हें कहा जाता है जो की किसी विशेष स्थान से आकर कुछ समय के लिए प्रवास करते हैं और वापस अपने मूल स्थान पर ही चले जाते हैं ऐसे में इन्हें सदियों से चले आ रहे अपने इस रूट की जानकारी पीढ़ी दर पीढ़ी मिलती रहती है इनके दिमाग के ब्रेन मैपिंग में यह रूट और आवास प्रवास के स्थल पीढ़ी दर पीढ़ी अपने आप प्रसारित होते रहते हैं।
जो पक्षी हमें एक बार यहां विविधता के रूप में दिखने को मिलेगा वह आने वाले कई पीढियां तक भी हमें यहां देखने को मिलेगा।
इस तरह के आयोजनों से हमें प्रकृति के साथ इन पक्षियों के व्यवहार और उनकी लगातार वाचिंग मॉनिटरिंग से उनके विषय में बहुत ही सटीक और महत्वपूर्ण जानकारियां मिलती है प्रकृति में इंसेक्ट फसलों को नुकसान पहुंचाने वाले कीड़ों को करने में इन पक्षियों की एक बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका होती है वही इन बच्चों के द्वारा जो फल बीज आदि खा जाते हैं वह भी एक स्थान से दूसरे स्थान पर प्रवास के दौरान पहुंच जाते हैं जिससे पर्यावरण को अपने विभिन्न प्रकार की वनस्पतियों व पेड़ पौधों के प्रकीर्णन का लाभ भी मिलता है। प्रकृति के सजक प्रहरी और संभाल के रूप में इस प्रकार के पक्षियों की बड़ी ही महत्वपूर्ण भूमिका होती है।
आज के आयोजन में आने वाले सभी प्रकृति प्रेमियों ने यहां स्थित नगर निगम के कचरा पॉइंट के बारे में भी अपनी चिंता जाहिर की इस कचरे के दोहे और बदबू गंदगी के कारण यहां के पक्षियों और जली वातावरण पर भी बहुत गहरा प्रभाव विपरीत रूप से पड रहा है।
यहां पर करीब 20 से 25 की संख्या में मगरमच्छ तथा विभिन्न प्रकार के जलचर नक्शा यहां पर अपना आवास प्रवास करते हैं वह साल के लगभग 9 महीने तक हवा में रहने वाला पक्षी जिसे स्विफ्ट कहा जाता है उसकी संख्या यहां पर बड़ी मात्रा में पाई जाती थी लेकिन स्ट्रेचिंग ग्राउंड से उठने वाले धुएं के कारण और उसके कारण यहां की जल की शुद्धता में कमी आने के कारण बहुत से पक्षियों ने अब यहां अपना बसेरा छोड़ दिया है यहां पर कभी चिरैया से लेकर विदेशी पक्षी तक नजर आ जाया करते थे ऐसे में अब यहां पर बहुत ही कम मात्रा में इक्के दुख के पक्षी नजर आते हैं वहीं इस अभेद तालाब के चारों ओर पेड़ भी अब सूखने लगे हैं जली वनस्पतियों का तो मानो यहां पर समाप्ति ही हो गई है मगरमच्छों की प्राकृतिक रहवास स्थल के रूप में जाने जाने वाला बायोलॉजिकल और अभेड़ा महल अब इसे विहीन होता जा रहा है। बायोलॉजिकल के पानी में केमिकल्स की बदबू साफ देखी जा सकती है।