श्रीराम नवमी पर मथुराधीश मंदिर पर पंचामृत दर्शन के लिए उमड़ी भक्तों की भीड़
संजय कुमार
कोटा, 17 अप्रैल।
श्रीराम नवमी पर शुद्धाद्वैत प्रथम पीठ श्री मथुराधीश मंदिर पर पंचामृत दर्शन हुए। इससे पहले मंगला दर्शन के बाद प्रभु को चन्दन, आवंला एवं फुलेल से अभ्यंग कराया गया। शुद्ध स्नान के बाद प्रभु को पीतांबर माला धराई गई। चेत्रीय गुलाब की मंडली और रूपहली जरी के किनारों से सज्जित वस्त्र धराए गए। मथुराधीश प्रभु का वनमाला का भारी श्रृंगार किया गया। मंदिर में विशेष सज्जा की गई। दहलीज पर हल्दी से मांडा गया। आशापला के पत्तों की डोरी से बनी बंदनमाला सजाई गई। झारी जी में यमुना जी का जल भर गया। इस दौरान मंदिर परिसर में दर्शनों के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ती रही। भक्तों ने मथुराधीश प्रभु के जयकारों से आसमान गूंजा दिया। इस अवसर पर “आज मंगलचार कौशल.. प्रकट भए हैं राम.. आज अयोध्या प्रकटे राम .. चरण मंगल बंधो जगदीश..” सरीखे कीर्तन भक्तों को मोहित करते रहे। वहीं रामनवमी से उष्ण प्रकृति के व्यंजन का भोग आरोगाना बन्द हो गया।
प्रथम पीठ युवराज श्रीमिलन बावा ने बताया कि पुष्टिमार्ग में भगवान विष्णु के सभी दस अवतारों में से चार अवतारों श्रीकृष्ण, श्रीराम, श्रीनृसिंह एवं श्रीवामन को विशेष मान्यता दी है। इस कारण इन चारों अवतारों के जन्म दिवस को पुष्टिमार्ग में जयंती के रूप में मनाया जाता है। भगवान विष्णु के दशावतारों में से श्री महाप्रभुजी ने भगवान विष्णु के दस अवतारों में ये चारों अवतार प्रभु ने निसाधन भक्तों पर कृपा के लिए लिए थे। इनकी लीला को पुष्टिलीला माना गया है। पुष्टि का एक शाब्दिक अर्थ कृपा भी है। उन्होंने बताया कि उष्ण प्रकृति के होने के कारण रामनवमी से ही प्रभु को सभी प्रकार के जमीकंद रतालू, सूरण, अरबी और शकरकंद आदि पदार्थ नहीं अरोगाये जाएंगे। ये जमीकंद भी आगामी विजयदशमी से फिर से अरोगाये जाने प्रारंभ होंगे। प्रभु के सुख को ही पुष्टिमार्ग में प्रमुख माना है अतः भोज्य पदार्थ से लेकर सभी समर्पित की जाने वस्तुओं ऋतु काल अनुसार प्रभु सुख का ध्यान रखा जाता है। इसलिए पुष्टिमार्ग विशेष है।