संजय कुमार
कोटा, 12 अप्रेल। कोटा के जनतंत्र प्रेमियों, श्रमिकों, किसानों, दलितों, महिलाओं, युवकों एवं विभिन्न सामाजिक – सांस्कृतिक पर्यावरण एवं शिक्षा से जुड़े नागरिकों द्वारा गठित “लोकतंत्र बचाओ आन्दोलन समिति, कोटा’ द्वारा एक प्रेस वार्ता आयोजित की गयी।
समिति के अध्यक्ष अजय चतुर्वेदी ने बताया कि समिति का प्रमुख उद्देश्य वर्तमान संसदीय चुनाव 2024 में संविधान और लोकतंत्र पर मंडरा रहे एक-दलीय अधिनायकवादी खतरे के प्रति प्रदेश के नागरिकों, विशेष कर कोटा-बूंदी लोकसभा क्षेत्र के मत दाताओं को सचेत करना एवं जन जागरण अभियान चला कर देश के संविधान द्वारा नागरिकों को दिए गए अधिकारों के प्रति जागरूक करना है. हमारा स्पष्ट मानना है कि वर्तमान भाजपा एन डी ए सरकार ने 2014 में केन्द्रीय सत्ता में आने के बाद से ही संविधान द्वारा प्रदत्त उन नीतियों के विपरीत चलने का रास्ता अपना लिया, जिनमें अंकित है कि यह संविधान भारत के किसी भी नागरिक के साथ धर्म, जाति, नस्ल क्षेत्र के आधार पर किसी भी तरह के भेदभाव की अनुमति नहीं देता. हमारा संविधान, आर्थिक आत्म निर्भरता, लोकतंत्र सामाजिक न्याय और संघीय ढांचे की गारंटी देता है.
हाल ही में चुनावी बोंडों के जरिये भाजपा ने जिस तरह का आर्थिक महा घोटाला किया है, उसने हमारे अर्थतंत्र की स्वायत्तता और रिजर्व बैंक की गारंटी के सामने बड़ा प्रश्न चिन्ह लगा दिया है? देश के सर्वोच्च न्यायालय और विशेष रूप से सर्वोच्च न्यायाधीश चन्द्रचूड़ की न्याय के प्रति गहरी प्रतिबद्धता को ही यह श्रेय जाता है कि उन्होंने अनेकों धमकियों की परवाह न करके स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया को विवश कर दिया कि देश के नागरिकों के समक्ष यह स्पष्ट किया जाये कि किन किन कंपनियों को चंदे के धंधे में लाभ पहुँचाने और ई डी, सी बी आई आदि सरकारी एजेंसियों का दुरूपयोग किया गया?
देश के लोकतंत्र में आस्था रखने वाले एक नागरिक के तौर पर, ‘लोकतंत्र बचाओ आन्दोलन’ के माध्यम से हमारा प्राथमिक कर्तव्य बनता है कि हम अपनी सीमाओं को समझते हुए कोटा-बूंदी लोकसभा क्षेत्र के मतदाताओं के समक्ष भाजपा सरकार और पार्टी के इस भ्रष्ट और मजदूर किसान-दलित-अल्पसंख्यक महिला-युवा-छात्र विरोधी चरित्र का खुलासा करें पूरे देश में इस चुनाव में भाजपा की जनविरोधी नीतियों की लहर चल रही है. कोटा-बूंदी लोकसभा क्षेत्र के के बीच भी वर्तमान सांसद बिरला द्वारा संसद में विरोधी दलों की आवाज़ को दबाने की भूमिका तथा पार्टी को परिवारवाद में बदल देने के प्रति भी चर्चाएँ गर्म हैं. यह अकारण ही नहीं है कि भाजपा के ही एक वरिष्ठ जन नेता प्रहलाद गुंजल भाजपा छोड़ कर कोंग्रेस की ओर से सांसद का चुनाव लड़ने के लिए मैदान में आ गए हैं. उन्हें न केवल शहरी अपितु ग्रामीण क्षेत्रों में भी मतदाता अपने घरों से निकल कर समर्थन व्यक्त कर रहे हैं. हम यह भी स्पष्ट कर देना उचित समझते हैं कि हम किसी विशेष राजनीतिक दल के प्रवक्ता नहीं हैं, किन्तु वर्तमान दौर में भाजपा द्वारा देश पर तानाशाही लाद देने के प्रत्यक्ष खतरे को देखते हुए लोकतंत्र को बचाने के उद्देश्य से निर्मित विरोधी दलों द्वारा निर्मित इंडिया (INDIA) को लोकतंत्र की रक्षा और देश हित में उठाया गया कदम मानते हैं.।