भगवान श्री पिप्पलेश्वर महादेव मंदिर षष्ठम प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव 15 से 22 अप्रैल तक भक्तमाल कथा,पोस्टर का हुआ विमोचन
संजय कुमार
कोटा, 29 मार्च। कंपीटीशन कॉलोनी स्थित भगवान श्री पिप्पलेश्वर महादेव मंदिर के षष्ठम प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव के उपलक्ष्य में 15 अप्रैल से 22 अप्रैल तक भक्तमाल की कथा का आयोजन किया जाएगा। समिति अध्यक्ष जागेश्वर सिंह चौहान ने बताया कि कार्यक्रम के पोस्टर का विमोचन संत समाज सहित विधायक कोटा दक्षिण ने किया। पोस्टर विमोचन कार्यक्रम में सम्माननीय संत गोदावरी धाम कोटा के शेलेन्द्र भार्गव,रामधाम आश्रम से लक्ष्मण दास भक्तमाली महाराज , मंगलेश्वरी मठ से रंजीतानंद जी महाराज, मोटा महादेव से दशरथदास जी महाराज एवं कोटा दक्षिण के विधायक संदीप शर्मा, कोटा दक्षिण नगर निगम प्रतिपक्ष के नेता विवेक राजवंशी एवं सेवानिवृत जिला न्यायाधीश रमेश मीणा द्वारा मंदिर परिसर में विमोचन किया गया।
मंत्री कुलदीप माहेश्वरी ने बताया कि वृंदावन धाम के कथा वाचक चिन्मयदास महाराज द्वारा 15 से 22 अप्रैल तक भक्तमाल कथा का वाचन किया जाएगा। दिलीप सिंह चौहन ने बताया कि इस अवसर पर भजन संध्या व एक शाम खाटू के नाम व विशाल आम भण्डारे का आयोजन किया जाएगा।इस अवसर पर राजेन्द्र खण्डेलवाल,बंसती लाल,भानू प्रसाद,त्रिलोक प्रजापति,बनवारी बडेरा,जोगेंद्रपाल (जे पी) गौड , चिरौंजीलाल राठौड़, तरुण सुमन, गजेंद्र गुप्ता,मोहन मित्तल, दिनेश शर्मा, जगदीश मीणा,सहित समिति के एवं कॉलोनी निवासी मौजूद रहे।
संदीप शर्मा, विधायक कोटा दक्षिण
विधायक शर्मा ने कोटा शहर में होने वाले इस धार्मिक आयोजन पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए जिस क्षेत्र में धर्म का प्रचार होता है और जहां के नागरिक धर्म की राह पर चलते है,वह क्षेत्र निश्चित रूप से खुशहाल होता है। संत शैलेन्द्र भार्गव व रंजीतानंद महाराज ने कहा कि मनुष्य योनी पुण्य से प्राप्त होती है हम मात्र मनुष्य योनी में ईश्वर का चिंतन,मनन व स्वाधाय कर सकते है इसलिए हमें अधिक से अधिक समय प्रभु भक्ति में देना चाहिए यही हमारे जीवन का उद्देश्य है।
लक्ष्मण दास भक्तमाली व दशरथदास महाराज ने कार्यक्रम पर अपनी प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि संतो का सानिध्य व आशीर्वाद प्राप्त करना सदैव लाभकारी होता है। भक्तमाल कथा के श्रवण से कई जन्मो को पुण्य प्राप्त होता है ,कहा जाता है कि भक्तमाल की कथा सुनने खुद ईश्वर भी मौजूद रहते है,ऐसे में हमें अधिक से अधिक संख्या में उपस्थित रहकर अपने पुण्य बढाने है।