श्रुतसंवेगी श्रमण श्री 108 आदित्य सागर मल्टीनेशनल बुक ऑफ रिकॉर्ड लाइफटाइम अचीवमेंट से सम्मानित
संजय कुमार
कोटा, 24 मार्च । सिद्ध महामण्डल विधान रविवार को आर के पुरम त्रिकाल चौबीस दिगम्बर जैन मंदिर में सम्पन्न हुा किया। मंदिर अध्यक्ष अंकित जैन ने बताया कि शाश्वत अष्टान्हिक महापर्व के तहत सिद्धशिला पर विराजमान सिद्ध परमेष्ठी के 1024 गुणों की पूजा अर्घ्य देकर पूजा सम्पन्न की गई। सभा के उपरान्त आचार्य आदित्य सागर जी को लंदन की संस्था द्वारा दिया गया मल्टीनेशनल बुक ऑफ रिकॉर्ड लाइफटाइम अचीवमेंट सम्मानित किया गया। गुरूवर किसी सम्मान को हाथ नहीं लेते है अत: दिगम्बर जैन समाज के पदाधिकारी एवं मंदिर समिति के लोगो ने यह पुरस्कार प्राप्त किया।
इस अवसर पर संस्था के इंडिया सी.ई.ओ. कृष्ण कुमार उपाध्याय ने कहा के ये संस्था के लिए गौरव का क्षण है जो आचार्य आदित्य सागर जी जैसे संत ने ये पुरस्कार स्वीकार किया।आध्यात्मिक गुरु और धर्म प्रेरणास्त्रोत आचार्य आदित्य सागर जी को समाज और युवाओं में नई सोच और चेतना लाने के लिए यह पुरस्कार दिया गया है।
प्रतिष्ठाचार्य डॉ.अभिषेक जैन ने सम्पूर्ण अनुष्ठान संगीतमय कराकर भक्तिभाव से नाचकर विधान से इंद्र—इंद्राणियों को जोडा। महामंत्री अनुज जैन ने बताया कि रविवार को श्रुतसंवेगी श्रमण श्री 108 आदित्य सागर ने अपने प्रवचन में कहा कि जो बुरा सोचता है उसे बुरा भोगना पडता है। कर्म के फलों से कोई नहीं बच पाया है। उन्होंने कहा कि मनुष्य अपने परिणामों को चाहे तो ऊंचाइयों पर ले जाए एवं चाहे तो नर्क समान निचाई पर उसे पहुंचा दे। इस अवसर पर विनोद जैन टोरडी,राहुल जैन,संजय जैन,महावीर जैन,पारस जैन, अशोक पाटनी,सौरभ व लोकेश सहित समाज के कई लोग उपस्थित रहे।