Sanjay Chobisa, 7 Feb.
बीकानेर। प्रदेश की पहली से आठवीं तक के स्कूलों के कामकाज अब माध्यमिक शिक्षा निदेशालय से नहीं होंगे, बल्कि इसके लिए प्रारम्भिक शिक्षा निदेशालय से संपर्क करना पड़ेगा। कई वर्षों से दोनों निदेशालय का एक ही निदेशक होने के कारण प्रारम्भिक शिक्षा के महत्वपूर्ण माध्यमिक शिक्षा निदेशालय ने अपने अधीन ले लिए थे। शिक्षा विभाग ने आदेश जारी कर उन सभी कार्यों की जिम्मेदारी फिर से प्रारम्भिक शिक्षा निदेशक को दे दी है, जो पहले माध्यमिक शिक्षा निदेशक कर रहे थे।
ये काम अब प्रारम्भिक शिक्षा के
नियुक्ति प्रकोष्ठ में प्रबोधक 1998, 1999 विद्यालय सहायक, पंचायत शिक्षक, शिक्षक भर्ती अध्यापक लेवल-1, अध्यापक लेवल- 2, विशेष शिक्षक, प्रारम्भिक शिक्षा के अधीन कार्यरत कार्मिकों के आश्रितों के अनुकंपा नियुक्ति प्रकरण।
नए सरकारी प्राथमिक विद्यालय खोलना।
राजकीय प्राथमिक विद्यालय प्रमोट करना।
सरकारी स्कूल का नाम बदलना, मर्ज करना, बंद स्कूल को फिर से चालू करना।
स्टाफिंग पैटर्न।
शाला दर्पण पोर्टल पर राजकीय प्राथमिक विद्यालय को क्रमोन्नत करना या नाम बदलना।
गैर सरकारी स्कूलों को क्रमोन्नत करना, स्थान परिवर्तन या नाम परिवर्तन जैसे कार्य।
सीबीएसई मान्यता के लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र देना।
आरटीई प्रवेश और स्कूलों को भुगतान।
मॉनिटरिंग अनुभाग।
खेलकूद अनुभाग।
प्रारम्भिक शिक्षा के अधीन संचालित पूर्व प्राथमिक क्लासेज, प्री प्राइमरी बाल वाटिकाओं संबंधी कार्य।
प्रारम्भिक शिक्षा में कार्यरत कर्मचारियों की शिकायत पर प्राथमिक जांच करना।
वर्षों तक नहीं थे निदेशक
दरअसल, बीकानेर के एक ही परिसर में प्रारम्भिक शिक्षा निदेशालय और माध्यमिक शिक्षा निदेशालय संचालित होते हैं। करीब चार साल से कांग्रेस सरकार ने प्रारम्भिक शिक्षा निदेशक का पदस्थापन नहीं किया। ऐसे में माध्यमिक शिक्षा निदेशक ही अतिरिक्त कार्यभार संभाले हुए थे। ज्यादा समय होने पर माध्यमिक शिक्षा निदेशालय ने प्रारम्भिक शिक्षा को खुद में ही समायोजित करने की योजना बना ली। अब निदेशक के रूप में सीताराम जाट का पदस्थापन होने के बाद ये काम वापस लौटाने पड़ रहे हें। इस आदेश पर भी दोनों निदेशकों ने हस्ताक्षर किए हैं।
कमजोर हुआ प्रारम्भिक शिक्षा
प्रदेशभर में प्रारम्भिक शिक्षा व्यवस्था कमजोर हो गई। प्राइमरी और अपर प्राइमरी स्कूलों के बजाय सिर्फ माध्यमिक व उच्च माध्यमिक विद्यालयों पर ही विभाग का ध्यान रहा। ऐसे में अब प्रारम्भिक शिक्षा पर फिर से विभाग का फोकस होगा। इन चार साल में हजारों टीचर्स की नियुक्ति में भी माध्यमिक शिक्षा निदेशालय की पंचायती रही, जबकि ये काम पूरी तरह प्रारम्भिक शिक्षा का था।