विद्यार्थियों की पेरेंटिंग के लिए जिला प्रशासन की अनूठी पहल ‘कामयाब कोटा‘ अभियान अंतर्गत अब हर शुक्रवार ‘डिनर विद कलेक्टर‘
संजय कुमार
कोटा 27 जनवरी। कोटा में कोचिंग विद्यार्थियों के मानसिक सम्बलन एवं उन्हें सकारात्मक माहौल देने की दिशा में जिला प्रशासन ने एक और बड़ी पहल की है। जिला कलेक्टर डॉ. रविंद्र गोस्वामी प्रति शुक्रवार किसी भी हॉस्टल में विद्यार्थियों के साथ डिनर कर उनके साथ संवाद करेंगे। ‘कामयाब कोटा‘ अभियान अंतर्गत कोचिंग सेक्टर के सुदृढीकरण के उद्देश्य से जिला कलेक्टर ने यह शुरुआत शुक्रवार रात्रि कुन्हाड़ी लैंडमार्क सिटी स्थित शिव रेजिडेंसी गर्ल्स हॉस्टल में छात्राओं के साथ डिनर करके की। यहां रह रही बच्चियों के साथ डाइनिंग टेबल पर अनौपचारिक वातावरण में उनके साथ बातचीत की तो कुछ ही देर में बच्चियां ऐसे घुल-मिल गई जैसे अपने परिवार के बीच हों। कलक्टर ने सहजता से उनकी बातें सुनी और अपनी बातें कहीं। विद्यार्थी जीवन के अपने अनुभव बांटे। हंस -ठहाकों के बीच गहरी सीख और गुरु मंत्र भी दे डाले
गणतंत्र दिवस की संध्या पर अपने बीच अचानक जिला कलक्टर को पाकर छात्राएं फूली नहीं समायीं। उन्होंने दैनिक अध्ययन में आने वाली परेशानियों, असमंजस, अध्ययन के तौर तरीके, अध्ययन में एकाग्रता, टाइम मैनेजमेंट और सफलता के टिप्स जिला कलेक्टर से बातों बातों में ही पा लिए। यही नहीं जिला कलेक्टर ने आ, चल के तुझे, मैं ले के चलूं एक ऐसे गगन के तले.. जहां गम भी ना हो आंसू भी ना हो बस प्यार ही प्यार पले.. गीत गाकर माहौल में अपनत्व घोल दिया। छात्राओं ने भी गीत में स्वर से स्वर मिलाया।
जिला कलक्टर ने इन छात्राओं के साथ तिरंगा केक भी काटा और उन्हें उपहार स्वरूप पेन भेट किए। छात्राओं ने बताया कि इस तरह अचानक हमारे बीच जिला कलेक्टर का आना एक सुखद आश्चर्य था। उन्हें अपने बीच पाकर और भोजन साथ में कर ऐसा लगा जैसे परिवार के बीच हों।
अपने अनुभवों से दी सीख
जिला कलक्टर ने छात्राओं के साथ लगभग 2 घंटे का समय बिताया। छात्राओं से संवाद में उन्होंने बताया कि कि वह भी कोटा में एक विद्यार्थी के रूप में कोचिंग के लिए आए और मन नहीं लगने पर जल्दी ही यहां से चले गए और फिर स्वयं के बूते ही पढ़ाई कर सफलता पाई। उन्होंने कहा कि विद्यार्थी जीवन में इस तरह के दौर आते हैं जब असमंजस, अनिर्णय की स्थिति होती हैं और स्ट्रेस घेर लेता है। ऐसे में मजबूत होकर समझदारी से काम लेने की जरूरत होती है। ऐसे में किसी भी समस्या से घबराएं नहीं, समस्याएं हमें मजबूत बनाने के लिए आती हैं। घबरा के भागने के बजाय इनका सामना करें, आगे बढ़ें। आपका भविष्य उज्जवल ही होगा।
बड़ा लक्ष्य तय करें जिला कलक्टर ने कहा कि जीवन एक ईश्वरीय उपहार है इसे पूरी शिद्दत के साथ जीने के लिए अपने बड़े लक्ष्य तय करें। करियर लक्ष्य पाने का एक रास्ता मात्र है, मंजिल नहीं। लक्ष्य पाने में असफलताएं आएंगी, निराशा भी मिलेगी लेकिन हारें नहीं। किसी परीक्षा में विफल होने मात्र से अपना आकलन ना करें। यदि आप डिजर्व करते हैं तो प्रयास जारी रखें लेकिन इसकी एक सीमा जरूर हो। दूसरे विकल्प भी जरूर खुले रखें।
छात्राओं को यह भी दिए टिप्स
छात्राओं ने अध्ययन में आने वाली विभिन्न समस्याओं, व्यक्तिगत आदतों और पढ़ाई में एकाग्रता और संतुलन इत्यादि को लेकर प्रश्न पूछे जिनका जिला कलक्टर ने बहुत ही सहज सरल तरीके से उत्तर दिए। अपने उदाहरण भी पेश किए। खुद से कंपटीशन करें अपनी कमियों को दूर करते हुए लगातार बेहतर होने का प्रयास करें। परिणाम अच्छा रहने पर खुद को रिवॉर्ड भी दें।
अपने पढ़ाई के समय को छोटे-छोटे टुकड़ों में बांटें।एक साथ लंबी सिटिंग के बजाए छोटे छोटे टुकड़ों में समय और उनके लक्ष्य बांटे।
यह समझे लें कि यह समय आपका सिर्फ रास्ता है, मंजिल नहीं। बड़ा सोचें, बड़े सपने देखें। विफलता से निराश ना हों। अन्य विकल्पों के लिए तैयार रहें। बैक अप प्लान तैयार रखें। असफल होते भी है तो यह मान लेना चाहिए कि आपके लिए अन्य कुछ बेहतर या आपके अनुकूल ईश्वर ने रखा है।
खुशी सबसे बड़ी है। जिस क्षेत्र में आप आत्मविश्वास महसूस करें, खुश रहें वह करें। हॉस्टल में साथियों के साथ परिवार का माहौल बनाएं जिससे घर की कमी नहीं खले और पढ़ाई में भी मदद मिलेगी। अनुकूलन की आदत डालें कुछ चीज जो अपने अनुकूल नहीं हैं, उनके साथ अनुकूलन के प्रयास करें।
इस कार्यक्रम में सहायक निदेशक लोक सेवाएं गजेंद्र सिंह, चंबल हॉस्टल एसोसिएशन के अध्यक्ष विश्वनाथ शर्मा, सचिव सतप्रीत सिंह, मनीष मुंद्रा, राजू गौतम, संदीप अग्रवाल, राजेश कटारिया आदि उपस्थित थे