गोयल ग्रामीण विकास संस्थान द्वारा जैविक कृषि अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केंद्र को लेकर एक गोष्ठी का आयोजन हुआ
संजय कुमार चौबीसा
कोटा, 7 जनवरी। गोयल ग्रामीण विकास संस्थान कोटा द्वारा रविवार को कोटा जिले के जाखोड़ा स्थित श्रीरामशान्ताय जैविक कृषि अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केन्द्र पर राजस्थान में जैविक कृषि पर कार्य करने वाली संस्थाओं एवं सांमजस्य से जैविक एवं राजस्थान का आगाज करने व प्राकृतिक/गौ आधारित जैविक कृषि के अभियान को द्रुत गति से फलीभुत करने हेतु प्रबुद्धजन सम्मेलन एवं विचार गोष्ठी आयोजित हुई। इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में डॉ. हिमांशु पाठक, सचिव (DARE) एवं महानिदेशक, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (नई दिल्ली), विशिष्ट अतिथि प्रो. राजेश्वर सिंह चन्देल कुलपति डॉ. वाई एस परमार उद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी – सोलन, (हिमाचल प्रदेश) और डॉ. अभय व्यास कुलपति, कृषि विश्वविद्यालय, कोटा (राजस्थान) एवं मार्गदर्शन श्री कृष्ण मुरारी, अखिल भारतीय बीज प्रमुख, भारतीय किसान संघ रहे।अध्यक्षता अनुसंधान केन्द्र के निदेशक श्री ताराचन्द गोयल द्वारा की गई।
अनुसंधान केन्द्र के मुख्य प्रबन्धक डॉ. पवन टाक ने बताया कि इस कार्यक्रम में 50 से अधिक संस्थाओं के उच्च अधिकारियों ने भाग लिया। सभी अतिथियों ने कृषि अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केंद्र का अवलोकन किया एवं अनुसंधान केंद्र पर नवनिर्मित बीज बैंक का लोकार्पण किया।
गोयल प्रोटीन्स के निदेशक निर्मल गोयल और जैविक किसानों ने सभी अतिथियों को हल की प्रतिकृति भेंट कर के और दुप्पटा पहना कर सभी का स्वागत किया।
श्री कृष्ण मुरारी, ने बताया कि देश की अधिक जनसंख्या कठिन बीमारियों से झुझ रहें। अब आवश्यकता है जड़ों की ओर मुड़ने की। यह प्रकल्प इसी दिशा में प्रयासरत है। जिसमें फसल एवं नस्ल दोनों स्वस्थ रहेगी।
विशिष्ट अतिथि प्रो. राजेश्वर सिंह चन्देल ने बताया कि हरितक्रान्ति का दौर खत्म हुआ, कुछ पाया तो बहुत कुछ खोया। पाने के विषय पर हाइब्रिड़ बीज, उर्वरक मिले। लेकिन इन्ही का दुष्प्रभाव भी सृष्टि के जीव जगत पर पड़ा। कोटा का यह प्रकल्प विश्व में स्थापित होगा जिसमें समस्त दुविधाओं का समाधान होना तय है।
वही डॉ. अभय व्यास जी का कहना है कि इस प्रकल्प पर बुवाई से बाजार तक के जीवन्त प्रदर्शन यहां उपलब्ध है। इस प्रांगण पर जैविक खेती की परम्परागत और आधुनिक विधियां आग किसान के लिए अति उपयोगी। डॉ. व्यास ने का कहना कि खेती के साथ पशुपालन हमारे किसान भाई जोड़े।
कार्यक्रम में डॉ. हिमांशु पाठक, जी कोटा का यह मॉडल यह प्रकल्प सम्पूर्ण भारत में लागू करने का प्रयास भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद नई के द्वारा हम करेगे। इस प्रकल्प से न केवल राजस्थान बल्कि सम्पूर्ण भारत के किसानों को लाभ मिलेगा। हमने अब तक बहुत उपलब्धियां हासिल की लेकिन अब उपलब्धियों को टिकाऊ बनाने हेतु प्रकृति और पर्यावरण से तालमेल बैठना होगा और यह व्यवस्था हाड़ौती के इस अनुसंधान केन्द्र पर देखने को मिलेगी।
डॉ. पाठक ने कहा कि भूमि का दोहन करते हुए यह ध्यान रहे कि भूमि में सन्तुलित पोषण का प्रबन्धन सतत् होता रहे।
श्रीमान ताराचन्द गोयल ने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि भगवान कृष्ण का गोपालन महज गोससेवा नही बल्कि खेती किसानी को गाय से जोड़ने की प्रेरणा प्रयास है। वस्तुतः हम सभी गौ आधारित जैविक कृषि की ओर बढ़े ताकि हम सभी स्वस्थ रहें और भारत भूमि खुशहाल रहे। यह प्रकल्प इसी चिंतन को फलिभुत करने हेतु आप सब के लिए संकल्पित है। भारत को विश्वगुरू बनाने हेतु प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी के 5 प्रण को आज हम सबको आवश्यकता है।
कार्यक्रम के अन्त में निर्मल जी गोयल ने सभी का धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम में कृषि विश्वविद्यालय कोटा के कृषि वैज्ञानिक कृषि विभाग के अधिकारी, जैविक संस्थाओं के पदाधिकारी एवं हाड़ौती के किसान उपस्थित रहे ।
कार्यक्रम के दूसरे सत्र में सभी संस्थाओं के प्रतिनिधियों एवं डॉ. हिमांशु पाठक के बीच तकनीकी वार्ता रही, जिसमें संस्थाओं द्वारा जैविक कृषि के विस्तार की योजना एवं चर्चा की गई।