संजय कुमार चौबीसा
कोटा 30 नवंबर। कोचिंग सिटी कोटा में कोचिंग छात्रों की सुसाइड करने का सिलसिला बरकरार है। अगर साल का एवरेज निकले तो हर महीने दो से तीन छात्र और छात्राएं कोटा में सुसाइड कर रही है। बीते गत दो दिनों में लगातार एक छात्र व एक छात्रा ने सुसाइड किया। छात्रों की मनोवृत्ति को अगर माने तो सुसाइड करने का कारण या तो कोचिंग संस्थान व हॉस्टल संचालकों की लापरवाही या फिर पढ़ाई को लेकर बच्चों में पेरेंट्स का दबाव हो सकता है। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने छात्रों में बढ़ती सुसाइड प्रवृत्ति को लेकर कहां था कि कोचिंग संस्थान या हॉस्टल संचालक ही इसके लिए पूर्ण दोषी नहीं है माता-पिता की अपेक्षाएं भी काफी हद तक बच्चों में सुसाइड करने को लेकर मजबूर कर देती है।
वही कोटा में दो छात्रों की लगातार सुसाइड करने के बाद कोचिंग संस्थानों में अध्ययनरत् एवं हॉस्टल में निवासरत् विद्यार्थियों के संबंध में जिला कलक्टर एमपी मीना की अध्यक्षता में गुरुवार को कलक्ट्रेट सभागार में प्रशासनिक अधिकारियों एवं कोचिंग संस्थानों के प्रतिनिधियों, हॉस्टल संचालकों की बैठक आयोजित कर सख्त निर्देश जारी करें जिसमें कोचिंग विद्यार्थियों द्वारा आत्महत्या के कारणों एवं रोकथाम के विषय पर विस्तार से समीक्षा भी की गई।
जिला कलक्टर एमपी मीना ने समस्त कोचिंग एवं हॉस्टल संचालकों को निर्देशित किया कि कोचिंग एवं हॉस्टल के लिए जो गाइडलाइन तैयार की गई है उसकी शत प्रतिशत पालना सुनिश्चित करें। उन्होंने कहा कोटा का प्रत्येक छात्र हमारी जिम्मेदारी है व छात्र में किसी भी तरह के अवसाद, चिंता जैसे लक्षण मिलते हैं तो कोचिंग संस्थान एवं हॉस्टल संचालक अपने प्रयासों के साथ-साथ अविलंब प्रशासन द्वारा नियुक्त नोडल अधिकारियों को भी सूचित करें, ताकि वह अपने स्तर से भी छात्र की सुरक्षा सुनिश्चित कर सकें। उन्होंने कोचिंग संस्थानों को निर्देशित किया कि सात दिवस के अंदर सभी छात्रों का व्यक्तिगत आकलन करें एवं उसके आधार पर तैयार रिपोर्ट की कार्य योजना प्रस्तुत करें। उन्होंने हॉस्टल संचालकों को निर्देशित किया कि प्रत्येक हॉस्टल में पंखों पर हैंगिंग डिवाइस होना अनिवार्य है ऐसा नहीं होने पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
जिला कलक्टर ने प्रशासन द्वारा नियुक्त नोडल अधिकारियों को न्यूनतम 10 हॉस्टल जाकर कर छात्रों से बात कर तथ्यात्मक रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए निर्देशित किया। उन्होंने नोडल अधिकारियों छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य एवं उनकी समस्याओं को सुलझाने के लिए सुझाव आमंत्रित किए हैं। उन्होंने कहा अगर कोई छात्र बीमार है, लंबे समय तक क्लास में उपस्थित नहीं होता है, कम खाना खाता है, कम बात करता है, ऐसे में उसके परिवार से व्यक्तिगत संपर्क कर छात्र की स्थिति के बारे में बताया जाए। उन्होंने कहा कोई भी संस्थान गाइडलाइन के नाम पर मात्र खाना पूर्ति न करें। उन्होंने एडिशनल एसपी (स्टूडेंट सेल प्र्रभारी) चन्द्रशील से उनकी टीम द्वारा हॉस्टल्स एवं छात्रों से संपर्क के लिए आवश्यक निर्देश दिए, साथ ही उन्होंने कोटा शहर में संचालित पीजी हॉस्टल का डाटा तैयार करने के भी निर्देश प्रदान किये।
पुलिस अधीक्षक शहर शरद चौधरी ने कोचिंग संस्थानों एवं हॉस्टल संचालकों को निर्देश दिए कि कोचिंग एवं हॉस्टल का संचालन गाइडलाइन के अनुसार करें एवं जो आदेश छात्रों की सुरक्षा के लिए दिए जाते हैं उसकी शत प्रतिशत पालना करें अन्यथा इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं। उन्होंने कहा अगर किसी भी कारण से बच्चा कोचिंग या पढ़ाई से लंबा ब्रेक लेता है और पुनः कोचिंग ज्वाइन करता है ऐसे में उस पर कोर्स खत्म करने का ज्यादा दबाव होता है जो उसके लिए सहन कर पाना मुश्किल होता है तथा ऐसे छात्रों के लिए पुनरावलोकन करना आवश्यक है ताकि वह दबाव में ना आए। बैठक में लगातार कम अंक वाले छात्रों पर निगरानी उनके लिए विशेष कार्य योजना तैयार करने की भी बात की गई एवं उनके परिवार जनों से भी जानकारी साझा करने की बात कही गई।
बैठक में अतिरिक्त कलक्टर प्रशासन राजकुमार सिंह, अतिरिक्त कलक्टर शहर बृजमोहन बैरवा, कुल सचिव कृषि विश्वविद्यालय सुनीता डागा, उप निदेशक महिला एवं बाल विकास राजेश डागा, जिला रसद अधिकारी पुष्पहरवानी, मनोचिकित्सक डॉ विनोद दड़िया, सीएमएचओ डॉ जगदीश सोनी, साइकोलोजिस्ट पूर्ति शर्मा सहित कोचिंग संस्थान के प्रतिनिधि व हॉस्टल संचालक संगठन के प्रतिनिधि मौजूद रहे।