Sanjay Chobisa, 19 Nov 2023
अब जब चुनाव में नाम वापसी की तिथि जा चुकी है और शेष बचे उम्मीदवारों को उनके चुनाव चिन्ह भी मिल गए हैं। राजस्थान में चुनाव की स्थिति साफ होने लगी है। इससे यह भी स्पष्ट हो गया है कि आगामी 25 नवंबर को होने वाले चुनाव आर पार के चुनाव नहीं हैं, यह बहुत फंसा हुआ चुनाव है और उंट किसी भी करवट बैठ सकता है।
राजस्थान में 25 नवंबर जैसे-जैसे पास आती जा रही है चुनाव की स्थिति साफ होती नजर आ रही है। इस बार का चुनाव दोनों पार्टियों के लिए आर पार का चुनाव बनता जा रहा है। चुनाव में कई स्थितियों काफी फांसी हुई नजर आ रही है। जनता तय करेगी ऊंट किस करवट बैठेगा। भाजपा का पूर्ण बहुमत का दावा जमीन पर उतना प्रभावी नहीं दिख रहा है, जितना किया जा रहा है और कांग्रेस की वापसी भी उतनी आसान नहीं लग रही है, जितनी मेहनत अशोक गहलोत कर रहे हैं।
जनता के मुख्य मुद्दों को छोड़ आरोप प्रत्यारोप से लड़े जा रहा है चुनाव
लोकसभा चुनाव हो या विधानसभा चुनाव पूर्व में अभी तक किसी न किसी मुद्दों को लेकर लड़ा जाता रहा है लेकिन यह चुनाव ऐसा अनोखा चुनाव है, जिसमें कोई भी मुद्दा जनमानस के बीच में नहीं है। ना अशोक गहलोत की मुफ़्त योजनाएं मतदाताओं को लुभा रही हैं, ना ही भाजपा का सामूहिक नेतृत्व मतदाताओं को समझ आ रहा है। यह चुनाव ऐसा अनोखा चुनाव है, जिसमें कोई भी मुद्दा जनमानस के बीच में नहीं है। ना अशोक गहलोत की मुफ़्त योजनाएं मतदाताओं को लुभा रही हैं, ना ही भाजपा का सामूहिक नेतृत्व मतदाताओं को समझ आ रहा है। कोई भी उम्मीदवार सिर्फ पार्टी का समर्थन मिलने मात्र से विजय के निकट पहुंच गया है, यह कहना संभव नहीं है।
भारतीय जनता पार्टी ने एक प्रयोग के तहत अपने सात सांसदों योगी बालकनाथ, दीया कुमारी, राज्यवर्धन राठौड, नरेन्द्र खींचड़, डा किरोडी लाल मीणा, देवजी पटेल और भागीरथ चौधरी को विधानसभा चुनाव में उतारा लेकिन स्थिति यह है कि एकमात्र दीया कुमारी और नरेन्द्र खींचड़ को छोड़कर बाकी सांसदों को भयंकर विरोध का सामना करना पड़ा और अभी भी स्थिति सहज नहीं हुई है।
ऐसा लगने लगा कि उस विधानसभा क्षेत्र में चुनाव सिर्फ औपचारिकता है, जनता ने अपना विधायक पहले से ही चुन रखा है लेकिन प्रतिद्वंद्वी उम्मीदवार ने भी उतना ही जनसमर्थन दिखा कर मुकाबले को रोचक बना दिया है। इन चुनावों में कोई विकास, हिन्दुत्व या राष्ट्रीय मुद्धों की बात नहीं कर रहा, सिर्फ जातियां और स्थानीय समीकरण ही चुनाव का भविष्य तय करने वाले हैं।
टिकट वितरण में कई बड़े नेताओं की अनदेखी
चुनाव में पार्टियां अपनी प्राथमिकताओं और पसंद के आधार पर टिकिट तो किसी को भी दे सकती हैं, लेकिन कार्यकर्ता उसे स्वीकार ही करेंगें यह आवश्यक नहीं। इस बात का अनकहा उदघोष यह भी है कि दोनों पार्टियों के शीर्ष कार्यकर्ता अपनी पार्टी को छोड़ दूसरी पार्टी में शामिल हो रहे हैं क्या यह इन लोगों के लिए अवसरवादी नहीं कहा जा सकता या पार्टी के शीर्ष नेतृत्व में बिना सर्वे के ही अपने पसंदीदा चेहरों को चुनाव मैदान में उतार दिया
उम्मीदवार के जीत का पैमाना भीड़ तय नहीं करेगी
प्रत्याशियों के नामांकन से लेकर चुनाव प्रचार की रैलियां और जनसंपर्क को भीड रोमांचक कर रही हैइन जनसमूहों को देखकर यह कहना मुश्किल है कि जिस उम्मीदवार के पक्ष में लोग जुट रहे हैं वो उसके मतदाता ही हैं। यदि इस भीड़ को उम्मीदवार की जीत का पैमाना मानें तो ऐसा संदेश आ रहा है कि भाजपा और कांग्रेस दोनों ही राजनीतिक दल 101 का जादुई अंक नहीं छू पायेंगें और सरकार बनाने की चाबी निर्दलियों और छोटी पार्टियों के पास रहेगी। जनसमूहों को देखकर यह कहना मुश्किल है कि जिस उम्मीदवार के पक्ष में लोग जुट रहे हैं वो उसके मतदाता ही हैं। यदि इस भीड़ को उम्मीदवार की जीत का पैमाना मानें तो ऐसा संदेश आ रहा है कि भाजपा और कांग्रेस दोनों ही राजनीतिक दल 101 का जादुई अंक नहीं छू पायेंगें और सरकार बनाने की चाबी निर्दलियों और छोटी पार्टियों के पास रहेगी।
कांग्रेस का भी हो रहा विरोध
हालांकि चुनाव से पहले गहलोत यह कहते रहते थे कि जनता में उनके प्रति नाराजगी नहीं है, बल्कि उनके विधायकों के प्रति है। लेकिन वे भी अपने ज्यादातर विधायकों को फिर से टिकट देने के लिए बाध्य हुए और कहीं जगह पर एक ही एक चेहरे पर कई बार दांव खेलने के बाद भी इस बार भी दांव खेला गया है यही हाल भाजपा का रहा, ना जाने कितने ही सर्वे भाजपा ने अलग अलग स्तर पर कराये, लेकिन जिनको उम्मीदवार बनाया उनके बारे में चर्चा तक नहीं थी, सर्वे में नाम आने की बात तो बहुत दूर रह जाती है। यही एक मात्र कारण है कि भाजपा में तो कम से कम कार्यकर्ताओं और नेतृत्व के बीच में गहरी खाई दिख रही है। भाजपा उसको कितना पाट पायेगी, यह तो समय ही बता पायेगा। भाजपा इस अंतर को जितना कम करेगी, उतना ही वो सरकार बनाने के निकट पहुंचेगी।
(इस लेख में अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं। लेख में प्रस्तुत किसी भी विचार एवं जानकारी के प्रति कोई भी उत्तरदायी नहीं है।)